ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2

�वश्वास क� अच्छ� लड़ाई लड़ना परमेश्वर के प्रगट�करण नाटक म� आपक� भू�मका को �नभाना

रेव. डॉन अल्समन और रेव. डॉ. डॉन एल. डे�वस

HINDI

ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना परमेशवर के प्रकामश् ना्टक में आपकी भूममका को तनभाना सेक्ेड रूटस समीप होने कवा पवाठ् क्म

रेव. डॉन अलसमन और रेव. डॉन एल. डेववस

TUMI Press 3701 East 13th Street North Wichita, Kansas 67208 अर्बन शमशनस्ट्री इंसस्टट्ू ट, िैसश्क प्रभवाि की एक सेिकवाई

विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न: परमेश्र के प्रकशित नटक में आपकी भूमिक को निभन © 2014, 2016. अर्बन मिनिस्ट्री इंस्टिट् टय | सरे अधिकर सुरकषित हैं| पहल संस्करण 2014, दूसर संस्करण 2016 © 2019 [हिंद] अनु दक [प्रसद कुमर] प्रतिलिपिकरण, पुन: वितरण, और/ इन समगरियों के बिक्र, किसी भी अन िकरिक प् रसरण, 1976 प्रत् यालिप् याधिकर अधिनियम से अनुमति प्त करन प्रक क की ओर से लिखित अनुमति लेन निषेध है| अनुमति के निवेदन के लिए निम् नलिित पते पर लिख सकते हैं:

The Urban Ministry Institute 3701 East 13th Street North Wichita, Kansas 67208 ISBN : 978-1-62932-995-6 तुमि प्रेस के द्धार प्रकशित

ग जो वैश्वक प्रभ क एक भग है अर्बन मिनिस्ट्री इंस्टिट् य ट वैश्वक प्रभ सेवकई है| लेखक के द्धार सरे पवित्र स्त्र के उद्दरणों क भ नु द

ग है|

आवरण पृष्ट पर चित्र का वर्णन: यह चित्र त है कि एक व् यति पनी के झील के किनरे खड़ है| जैसे वह नीचे देखत है, वह पनी में मसीह क योद्धा के समन प्रतिबिम् देखत है| (इफिसियों 6.10-18)

इस पुस्तक को जो नए तथ बढ़ने ले विश्वासियों को चेल बनते हैं तथ उनको परमर्श देते हैं उनके आदर में ल ग है. . . पस न, शिक्क, परमर्श देने ले, आत् मक निरदे शक और चेलों के लिए – उनके लिए जो आत् मक देख-रेख करते हैं और इन पवित्र लोगों से मित्रत रखते हैं, जिनकी निरंतर इच् छा होती है कि मसीह के अनुयायि ों को बल प्रदन करे तथ उन्ें बने और जिनक प्र स है कि उनसे प्रेम करे, उन्ें संत् न दें, निरदे श दें, और उन्ें बल प्रदन करें ऐसों को पवित्र आत् मा संसर भर में इस्तेमल करत है – हम परमेश्र के अनुग्ह क आनन् मनते हैं क् ोंकि उन् ोंने उनके वरदनों क इस्तेमल एक नए पी के आत् मक योग् करगरों को तै र करने के लिए द है जिससे प्रभु यीशु क आदर क ज सके और उनके रज् को आगे बढ ज सके| • • • क् ोंकि वरषों पहले मेर फेयरमउंट पार् डेब् र क क्र ने परमेश्र के रज् के लिए मुझ जैसे यु अर्बन अगुवों पर निवेश करने के समर् थ् में विश्वास क | ~ डॉन डेविस • • • मेरे छटवीं कक्षा के मित्र शिरली इसक के लिए जिसने मुझे से यीशु तथ सुसम र क परिचय क , और थेरोन फरिबेर्ग, जो मेरे हई स्कूल के कलीस यु अगुव थे जिसने मुझे इबिल से प्रेम करने के रे में त और आत् मा में चलने के रे में सी | ~ डॉन अल् मन • • • और जो तें तू ने बहुत से ग हों के समने मुझ से सुनी हैं, उन्ें विश्वासी मनुष् को सौंप दे; जो दूसरों को भी सी ने के योग् हों| ~ 2 तीमुथियुस 2.2

विषय सूची • 5



विषय सूची

7 प् रस् तवना 15 पठ 1

महान कथा में हमारे स् वंय का पाया जाना हमरे कहनी को परमेश्र की कहनी के सथ जोड़न

27 पठ 2

हमारा सूचीबद्ध होना युगों के वैश्वक संघर्ष में हमर भूमिक को स्वीकर करन

41 पठ 3

हमें मिलने वाला प्रवेश द्धार मसीह में हमरे जीवन को परमेश्र के जीवन के सथ जोड़न

55 पठ 4

हमें प्राप् होने वाला दान विश्वास की अच् छी लड़ई में पवित्र आत् मा की भूमिक

69 पठ 5

उत् मता हम दिखाते हैं इस संसर में परमेश्र के पवित्र लोग और मसीह के रजदूत के समन जीवन जीन 81 पठ 6 आत्मक उन् ति हमारी खोज मसीह की देह में एक दूसरे को बनन 95 पठ 7 श रु जिससे हम लड़ते हैं परमेश्र के शत्रु के विरुद् जय में चलन 107 पठ 8 हमारे इस् मत ाल की सामग्र परमेश्र के सरे ह र को ध लेन 121 पठ 9 हमारे सहनशीलता का प्रग होना पवित्र लोगों की दृ त

6 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

133 परिशिष् ट 135 परिशिष्ट 1 • एक समय की त है:

इबिल संबंधित वैश्वक वर्णन के द्धार ब्म् हाण् क नटक 137 परिशिष्ट 2 • कहनी को परमेश्र बत रह है 138 परिशिष्ट 3 • इबिल प न कैसे शुरू करें 140 परिशिष्ट 4 • नसरत क यीशु: भविष् की उपस्थिति 141 परिशिष्ट 5 • परमेश्र की कहनी: हमरे पवित्र जड़ें 142 परिशिष्ट 6 • पहले से समय के परे तक: परमेश्र की योजन और मनव इतिहस 143 परिशिष्ट 7 • प और तत् 144 परिशिष्ट 8 • मसीह में 145 परिशिष्ट 9 • निर्भरत की हमर घोषण: मसीह में स्वतंत्रत 147 परिशिष्ट 10 • ओइकोस करक 148 परिशिष्ट 11 • क्रिस् तस विक् र क धर्मविज्ञान 149 परिशिष्ट 12 • क् रिस् सत विक् र: मसीह जीवन और ग ह के लिए एक समग् दर्शन 150 परिशिष्ट 13 • विभिन् भगों और सम् पू र्त में इबिल को समझन 152 परिशिष्ट 14 • मसीह में तेंतीस आशीषें 156 परिशिष्ट 15 • कूबड़ 157 परिशिष्ट 16 • पीछे देखते हुए आगे न: इवैंजेलिकल सु र में महन परंपर की ओर 163 परिशिष्ट 17 • पवित्र स्त्र के सरंश की विषय सूची 167 परिशिष्ट 18 • नये नियम क वं ली विषय सूची 168 परिशिष्ट 19 • मसीह के रे में बतन: सुसम रों क संबंध 169 परिशिष्ट 20 • उचित प्रतिनिधित् करन: परमेश्र के रज् में चेलों की वृद्ध करन 170 परिशिष्ट 21 • नये नियम क आ र-वि र: परमेश्र के रज् के ऊपर-नीचे जीवन जीन 171 परिशिष्ट 22 • यीशु मसीह, इबिल क विषय और शीर्षक 172 परिशिष्ट 23 • परमेश्र उठे! परमेश्र को ढूंढने के सत "A’s" और उनके भलई के लिए विनती करन 173 परिशिष्ट 24 • निसेन क्रड 174 परिशिष्ट 25 • इबिल संबंधित समर्थन के सथ निसेन क्रड 176 परिशिष्ट 26 • प्रेरितई क्रड

प् रस् तवना

शिष् त ज्ञान क सं र नहं है, परन् त यह जीवन क सं र है|

~ जुआन कार् लोस ओरतिज़

प्रभु यीशु मसीह के बलवंत नम में सह-सैनिकों, शुभकमनएं! मसीह में वृद्ध पते हुए चेले योद्धाओं को हमरे संस न को आपको देते हुए हमें प्रसन् त हो रह है, विश्वास की अच् छी लड़ाई लडन: परमेश्र के प्रकशित नटक में आपके भूमिक को निभन| इस पुस्तक क यह पठ पवित्र स्त्र के नटक के हमर योजन को प्रस्तुत करत है, जिसे सीखने को ध् यान में रख कर ग है कि परमेश्र की बड़ी कहनी में हमरें भग लेन मुख् आ मों के रे में क् या कहत है| हम भरोस करते हैं कि संसर की सह कहनी, इसक उद्ध श् एवं भग् इबिल में वर् णित हैं| पवित्र स्त्र ते हैं कि परमेश्र ह जीवन क लेखक है, उन् ोंने ब्म् हाण् को बन , और अब्राहम से प्रतिज्ञा कि उसक एक वंश आयेग जो कि पृथ् व भर के पर रों के लिए आशीष क करण होग| परमेश्र स्वंय को इस्राएली लोगों पर प्रगट , वह रष्ट्र जिसके द्वार उन् ोंने मसीह को लेकर आ , जो उसक अभिषिक् जन है| यीशु परमेश्र क चुन हुआ सेवक है जो संसर में आने ल थ, मृत् य को हरे ग, श्राप को समप्त करेग, और उनके रज् को मनवज के बीच त करेग| सच् चाई में, उनके लोग, इस्राएल के द्वार मसीह आ , और हम जनते हैं कि वह कौन है: छुड़ाने ल और रज, नसरत क यीशु| पवित्र स्त्र यीशु की महिम की ग ह देत है, जो पित की योजन एवं महिम के अनुसर सम् पू र् मनवज पर प्रगट हुआ, क्र स पर उनकी मृत् य के द्वार तथ मरे हुओं में से जी उठने के द्वार हमरे पपों से हमें छु , और जो उनके दूसरे आगमन के सथ सरे चीजों को फिर पुर्वास में लेकर आएग| जब हम मन फिरते हैं और यीशु में प्रभु एवं उद्धारकर्त के समन विश्वास करते हैं, तो यह बड़ी कहनी हमर हो जती है, जो अनुग्ह तथ प्रेम की आश्चर्यजनक कहनी है, एक अदभुत नटक जिसे दूसरों के सथ टने और जीने के लिए वह हमें आमंत्रित करते है परमेश्र के पर र, कली में। पाठ अवलोकन: विश् वस की अच् छई लड़ई कैसे लड़ इस पुस्तक को इसलिये ग है जिससे पठक बड़ प्रश्नो को स्पष्ट, और आसनी से समझने के द्वार अवलोकन कर सके और कहनी पर महत् दे सके, जिससे इसे आपके समझने में मदद हो सके तथ इससे तुम जन सके कि कली में परमेश्र तथ दूसरों के सथ कैसे जुडन हिए| इसक अर्थ है कि आपको (भूखे और वृद्ध करने ले विश्वासी को), नौ समग् पठ जो कहनी के मुख् तत् ों क नींव हैं दें सकें| इनमें से प्रत् य क पर स नीपूर्वक सोचन और चर्च करन है क् ोंकि यह परमेश्र के वैश्वक कहनी में नये

7

8 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

न क के रूप में स्वयं आपको त है| इफिसियों की पुस्तक में प्रेरित पौलुस ने विशेष सच् चाईयों की रुपरे की चर्च की है| इन पठों की रुपरे की तै र मसीह विश्वास और ल-चलन के आ र पर शिक्षा में जड पकडने के लिए की गई है| यहँ पठ क शीर्षक, और प्रत् य क पठ क संकषिप्त वर्णन ग है| पाठ 1 क शीर्षक है, महन कथ में हमरे स्वंय क प जन: हमरे कहनी को परमेश्र की कहनी के सथ जोडन| यह पठ आपको यह जनने में मदद करत है कि ब्म् हाण् क परमेश्र, सर्वशकतिमन प्रभु परमेश्र है, जो एक, सच् चा, और अनंतकल क परमेश्र है, जो तीन व् यतित् ों में उपस्थिति है: पित, पुत्र, और पवित्र आत् मा| उन् ोंने सम् पू र् चीजों को बन , हे दृश् मन हों अदृश् , और उन् ोंने मनुष् ों को अपने स्वंय के स्वरूप में बन | यह पठ शैतन के विद्रह, मनुष् ज क पहल जोड़ा आदम एवं हव् वा, और कैसे उनके अनज्ञाकरित की वजह से सम् पू र् सृष्टि श्रापित हुई की चर्च करत है| हलंकि, परमेश्र ने हमें एक उद्धारकर्त की प्रतिज्ञा जो बुरई पर जयवन् होग और सब कुछ परमेश्र के लिए पस जीतेग| पाठ 2 , हमर सूचीबद् होन: युगों के वैश्वक संघर्ष में हमर भूमिक को स्वीकर करन| यह इस त की चर्च करत है कि कैसे नसरत क यीशु शैतन को पर त और अपने पपहन जीवन के द्वार हमें श्रापों से स् वतंत् र और हमरे न पर मर ग | अब मन फिर (पपों से परमेश्र की ओर आन) के द्वार और विश्वास (यीशु के कम के द्वार सच् चाई पर विश्वास करन) से हम परमेश्र के रज् में प्रवेश करते हैं| उन् ोंने हमें उनके अनुग्ह से , हमने मसीह की देह में प , और हमरे मसीह जीवन में हमर मदद के लिए हमें पवित्र आत् मा ग है| पाठ 3 , हमें मिलने ल प्रवेश द्वार: मसीह में हमरे जीवन को परमेश्र के जीवन के सथ जोडन| यह सी त है कि कैसे आप विश्वास से यीशु के सथ जुड़ हो (उदहरण के लिए, "अब हम मसीह में हैं")| इस मेल की वजह से, यीशु जो कुछ है एवं जो कुछ वह उपलब् करत है उसे प्त करते हो और अनुभव करते हो| परमेश्र की आत् मा के द्वार, हम उनके घरने के सदस्य बन जते हैं, यीशु मसीह इसके कोने क पत् र है, और प्रेरित और भविष् द्क्ता इसके नींव हैं| विश्वासियों क प्रत् य क नीय सभ परमेश्र के रज् क दूत स के समन कम करत है, जो स्वर्ग की वस्तुओं को प्रतिनिधित् करत है| हम विश्वासी उस रज् के रजदूत तथ प्रतिनिधियों के समन से करते हैं| पाठ 4 क शीर्षक है, हमें प्त होने ल दन: विश्वास की अच् छी लड़ाई में पवित्र आत् मा की भूमिक| यह पठ इस त पर महत् देत है कि कैसे पवित्र आत् मा प्रत् य क विश्वासी में स करत है, और हर एक को कली में से करने की अनुमति देत है| जिस तरह पवित्र आत् मा अवसर, - निरदे श, और बल उपलब् करत है, वैसे ह हम मसीह में दूसरे विश्वासियों के बीच वरदनों क अभ् यास करने के लिए स्वतंत्र हैं| हम तब बढ़ते हैं जब हर विश्वासी एकत और प्रेम की संगति में हमरे सथ वृद्ध करत है|

 • 9 पाठ 5 में, उत्तमत हम ते हैं: इस संसर में परमेश्र के पवित्र लोग और मसीह के रजदूत के समन जीवन जीन| हम देखते हैं कि परमेश्र क अनुसरण करने के लिए हमें बुल ग है, जैसे कि उनके स्वंय के प्रिय बच् ों के समन| हमें मसीह में, परमेश्र के संत (पवित्र प्रज) बन ग है, और दूसरों के सम् मु उनके स्वंय के पवित्र, धन् यवाद लोगों के समन परमेश्र को प्रस्तुत करन है| हमें उनके रजदूतों के समन बुल ग है, जिससे उद्धार के सुसम र को हमरे मित्रों, पर रों, और पड़ौसिों के सथ ँ ट सकें, और दूसरों की से में प्रेम के अच् छ कम, एवं मसीह में कम कर सकें| पाठ 6 , आत् मक उन् नत हमर खोज: मसीह की देह में एक दूसरे को बनन| यह एक वि र की खोज करत है जिसमें मसीह जीवन की रुपरे परमेश्र के पर रमें एक सथ वृद्ध पने, मसीह क देह और पवित्र आत् मा क मन् दर होकर समुद में स करने के लिए ग है| हमें दूसरों के सथ मसीह क जीवन जीने के लिए बुल ग है, उनकी सच् चाई की खोज एक सथ करने, परमेश्र की आर न करने और मसीह के चेलों के समन वृद्ध पने के लिए जब हम दूसरे विश्वासियों के सथ नीय कली में और छोटे समूहों में जुडते हैं| ऐस करने के द्वार हमरे विश्वास में हम बढ़ते (उन् नत्त करते हैं) हैं, और सीखते हैं कि मसीह के अधीन रहकर कैसे एक दूसरे के सथ आदर से रहे| पाठ 7 , शत्रु जिससे हम लडते हैं: परमेश्र के शत्रु के विरुद् जय में चलन| यह ब्म् हाण् आत् मक युद् में है| शैतन और अंधकर क रज् प्रभु यीशु एवं ज् योत के रज् के सथ युद् कर रहे हैं| यीशु के जीवन, मृत् य और पुनरुत् थान के द्वार उन् ोंने शत्रु एवं शैतन पर जय प है, जो अब भी इस गिरे हुए वैश्वक पद्धत तथ हमरे पुरने पपमय स्वभ में धो के द्वार कम कर रह है, उदहरण के लिए, "शरर की इच् छा|" हम मसीह में विश्वास से चलने के द्वार उस पर जय पते हैं, और शैतन के झूठ बोलने और धो के द्वार हमें धो देने के प्र सों के प्रति स न रहते हैं| पाठ 8 क शीर्षक है, हमरे इस्तेमल की समग्र: परमेश्र के सरे ह र को ध लेन| यह स्पष्ट करत है कि कैसे परमेश्र प्रत् य क विश्वासी को शैतन क विरोध करने के लिए आवश् क ह र है और जिससे जब उन पर हमल हो तो वे इसमें खड़ रह सकें| ऐसे में पवित्र स्त्र की सच् चाई (उदहरण के लिए, परमेश्र क वचन) हमें बल देगी, उनके विरुद् खड़ होने में मदद करेगी, और उन झूठों को पलटने में मदद करेंगी जिन्ें शत्रु ने हमरे विरुद् फेंक है| और इसमें लड़ाई के लिए पवित्र आत् मा हमें बल देग जैसे हम आत् मक अनु सन क अभ् यास, अकेले तथ दूसरे विश्वासियों के सथ मिलकर करते हैं| पाठ 9 हमर पिछले पठ है, जो कहलत है, हमरे सहनशीलत क प्रगट होन: पवित्र लोगों की दृढ़त| इस पठ में, हम देखेंगे कि कैसे मसीह में बढ़ने क केनद्रीय सिद्धांत सहनशीलत को सीखने, स न रहने, और सुरक्षा से अलग नहं जने के रे में है| मसीह के प्रतिनिधि के समन, हमें आगे बढ़न है, और निरंतर पुरु र जीतने के लिए आगे बढ़न है हे यह कितन भी कठिन क् ों न हो| पवित्र आत् मा हमें हमर बुलहट के प्रति सह खड़ रहने

10 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

में हमें समर् थ् देग और जब हम मसीह को विश्वासयोग् त के सथ प्रस्तुत करते हैं, तो वह हमें हमरे विश्वासियों को उनकी लड़ाई में बल देने के लिए हमें इस्तेमल करेग| प् रत् य क पाठ के लिए कार्य योजना: इसके भाग और घ क प् रत् य क पठ एक तरह के भगों में विभ त है, और इसके प्रत् य क घटक कुछ आवश् क चीजों में केन् द्त होते हैं और जब तुम इसमें से होकर जओ तो इसमें उपस्थित होन आवश् क है| (एक अगुवे छोटे समूह के अनुदेशक के समन यदि दूसरों के सथ जब तुम इस पुस्तक के मध् म से जन रोक देते हो तो इस त पर ध् यान देन विशेषकर महत् पूर्ण है)| पाठ उद्धेश् | इनके प्रत् य क पठ के लिए तीन लक्ष हैं, जो आपको सह र से उस त को समझने में मदद करेंगे जिन्ें तुम समझन हते हो और जब आप एक र समप्त करो तो विश्वास करो, कि क् या तुम एकंत में अध् यन कर रहे हो दूसरों के सथ में| बुद के लिए प्रारंभ क प्रार्थना| हम आपको उत् साहित करते हैं कि इस प्रार् न को सुने और जोर से प्रार् न करें, प्रभु से मँगे कि हमरे ह्रदयों को इबिल अध् यन के सच् चाई में प्रवेश करने से पहले तै र करे, जिससे हम समझ सकें तथ उस चीज को प्त कर सकें जिसे परमेश्र ने हमरे लिए र है| सबध| संबंध खंड "मुख् पम् " खंड है जो आपको इस त की अनुमति देत है कि विक जीवन के प्रश्नो, मुददों, और परिस्थितियों पर मनन करने के द्वार शुरू करें जो इसके वि र से संबंध रखते हों| इन उदहरण पर अच् छा समय बितें , और इन मुददों के आशयों पर स नीपूर्वक सोचें| वे आपके सोच और शोध को एंगे जैसे आप प्रत् य क पठ में आगे बडते जओगे| विषय सूची| विषय सूची समग्र स्पष्टीकरण क परिचय देत है जिसक हम अध् यन करेंगे, और जो विक प्रश् को उपलब् करत है और सथ में यह इबिल संबंधित संदर्भो क ह ल देत है जिसक हम उत्तर देने ले हैं तथ उस विशेष पठ को देखते हैं| साराश| पवित्र स्त्र को देखने के द और विषय खंड में प्रश्नो क उत्तर देने के द, प् रत् य क पठ मुख् वि र तथ सच् चाई क एक संकषिप्त, ठोस सरंश उपलब् करत है जिसकी खोज विषय सूची करने ली है| यह आप के लिए मददगर निरदे श पत्रिक होगी, जिससे तुम जँच कर सके कि आपको पवित्र स्त्र के व् यतिगत अध् यन में पठ से "बड़ी आशीषें" मिली हैं नहं| परिशिष् ट| हमने परिशिष्ट में उचित ले ित्र, लेखों और दे जों को बन है और ल है जो आपके समझने की क्मत में वृद्ध करेग और पठों में विषय सूची को लगू करेग| इस खंड में ल किए गए परिशिष्ट क ह ल दें, जो मुख् सिद्धांतों और प्रत् य क विशेष पठ के वि रों को समझने के आपके संबंद् को संपन् करेग| मख् | पठ क यह खंड समन् त सम् पू र् पठ के शिक्षा को एक क् वचन के अधीन लेकर आत है|

 • 11 परिस् थति का विस् तृ अध् यन| यह महत् पूर्ण खंड है, जो एक अवसर उपलब् करत है जिससे आपके सीखने के संदर्भ के आशय में संभवित और विक मुददों पर मनन कर सको| सच् चाई केवल मत्र सोचने और चर्च करने के लिए नहं है; चेलपन विक जीवन, विक मुददे जिनके सथ लोग युद् करते हैं जो उनके जीवनों में प्रभ डलत है और प्रभवित करत है वह है| वे आपके सोच को उत् साहित करते हैं और वृद्ध करने ले चेलों के समन आपकी मदद करते हैं जिससे समझ सके कि कहनी, और आपकी कहनी एवं सच् चाई के सथ कैसे जुडन है| सच् चाई को जनन हमें बुद्धमन नहं बनत है, परन् त हमें स्वतंत्र करत है (यूहन् ना 8.31-32)| "सह उत्तर" देने से अधिक महत् पूर्ण है "नम्र होकर सीखन|" इबिल क अध् यन करने में आप देखेगे कि अनेक र कोई एक, स्पष्ट, सह उत्तर हमरे शोध से नहं आत है| वस्तुत: हमें मनन करने के लिए बुल ग है, जिससे हम नम्रत से अध् यन में ल हो सकें, सब कुछ जँच सकें, और उस विषय को पकड़ रह सकें जो अच् छा है (1 . 5.21)| इन मुददों क इस्तेमल अभी आपने जो कुछ सी है उनके संभवित अर्थ की खोज करने में करें और आत् मा को अपन कार् करने दें त जिन विभिन् मुददों से आपक समन हुआ है उन्ेँ समझने में आपको सह त मिले| सबध| यह खंड पठ के सच् चाई पर आपके उपयोग तथ विकीकरण पर केन् द्त है ("क्रिया करन")| जिस तरह आप सोचते हो, सीखते हो, स्वंय क ल-चलन देखते हो और दूसरों से संबंद् रखते हो तो आपको इससे जुडन हिए| इसलिये, उन संभ नओं को देखो जिससे इस खंड में जो कुछ आप व् यतिगत जीवन में सीखते हो उससे जुड सको| पुष करना| इस संकषिप्त खंड में एक सच् चाई को ल ग है जो पठ के समग्र से ग है जिसक हम अंगीकर कर सकें तथ करन हिए, और पूरे स ह भर इसकी पुष्टि करते रहें| प् रार्थना| हम कली के एक मुख् व् यति के प्रार् न को ल कर सकते हैं, जिससे किस तरह के निवेदनों तथ प्रार् नओं को जत है इसे बत ज सके जो सम् पू र् कली इतिहस के पठ विषयों से जुड़ हों| ह्रदय से प्रभ को पकारना| यह वह प्रार् न है जिसे हमें पठ के अंत में करन है| प्रार् नओं को तै र ज सकत है और ज सकत (जैसे कि इबिल के भजन संहित में हैं)! ये प्रार् नें हमें प्रभु से मँगने में मदद करेंगी कि हमें विशेष अनुग्ह प्त करने की आवश् कत है और इस पठ में हमें जिन सच् चाईयों को सी ग है उन्ें समविष्ट करने की| वे दनत, विनती, और भरोस की प्रार् नें हैं| इनके विषय धीरे तथ जोर से प्रार् न करें, जैसे आत् मा आपकी अगु ई करत है| अधिक अध् यन के लिए| ये चीजें आपके लिए सुझ हैं यदि आपको इस विषय पर अधिक सीखने की इच् छा है तो इस पठ में उसे ल करें|

12 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

अगले सत्र के लिए| इस श्रृं ल में ये चीजें अगले विषयों और शीर्षकों की पूर्वसमीक्षा है, और आपको एक सुन् र, संकषिप्त भ को देते हैं जो कि आगे अगले सत्र में हम देखेंगे| पवित्र शासत्र को याद करना| हम ठोस विश्वास करते हैं कि यदि हम वचन (इसे द करें) को हमरे ह्रदय में छिपकर रखें, तो हम प्रभु के विरुद् पप नहं करेंगे (भजन संहित 119.11)| ह्रदय से वचन को जनन ह्रदय क एक प्रभ कर उत् साह है, और शत्रु के झूठ के विरुद् एक संस न है| इसलिये, प् रत् य क वचन में एक द ग वचन है, जिसे आपने जो सच् चाई को सी है उससे संबंधित एक इबिल वचन के प्रति समर् पित हो सको, और आपके ल-चलन में मदद हो सके जो आने ले कई स हों में होग| नियत कार्य| इस पिछले खंड में लेने के लिए कुछ विशेष है और आपके करने के लिए वह कम है जिसे तुम पूर्ण करोगे| ये मददगर तथ व् यावहरिक हैं| यदि तुम इन नियत कार् यों के अनुसर कार् करोगे तो उन्ें गंभीरत से लें, और वैसे ह एवं उत्तम करने की आश लगे रहें, इससे आपके सी ने की चीजें तेजी से बढेंगी| उन्ें ऐसे बन ग है जिससे आपको मसीह में बढ़ने में मदद मिलेगी, और जिस पठ क आपने अभी अध् यन है उनकी रौशनी में सूचित ज सके| इसलिये नियत कार् यों को पूर्ण करें, और उत् साहपूर्वक उनक अनुसरण करें| यदि आप इन सत् ों के रे में केवल सोचते ह नहं हैं, बल् क में उन्ें अभ् यास में लते हैं तो इससे आपकी शिक्षा में क ी वृद्ध होगी विश् वस की अच् छी लड़ई लडना: परमेश् र के प्रकाशित ना क में अपने भूमिका को निभाना (पवित्र जडें आगे की कार्यवाही का पाठ् क्रम) एक मसीह होने के लिए परमेश्र की कहनी से जुडें, एक कहनी जिसे परमेश्र बत रह है और सभी समयों में पूर हो रह है| उसक छुटकर और प्रेम, उद्धार और आ , युद् और जय की कहनी, जो अब आपकी है| पवित्र जडों की यह कहनी पस समय के शुरुआत की ओर जती है, और मसीह के सन के अधीन यह महिममय रज् के वि र की आ है| प्रभु यीशु में विश्वास के द्वार आपने पप से छुटकर प है, दण् और बंधन से छुटकर प है, जो लड़ाई में सूचीबद् किये गए हैं| इस पुस्तक पठ में, आप सीखोगे कि कैसे परमेश्र के सम् पू र् ह रों को बंध लेन है, शत्रु के झूठ की पह न करन है, और सह-विश्वासियों के सथ बढ़न सीखन है| आपको लड़ाई में जोड़ा ग है, इसलिये सीखें कि कैसे अच् छी लड़ाई लडन है, यह जनकर कि आत् मक युद् में जय प्रभु की ओर से आती है| जॉन एलद्र द् ग , जो एक पस न थे और आत् मक युद् के रे में बहुत कुछ थ, कहते हैं, "आपके जीवन की कहनी पर लम् ब समय से आपके जीवन तथ ह्रदय पर उनके द्वार क्र र हमल है जो जनत है कि तुम क् या होगे और इससे डरत है|" कौन जनत है कि परमेश्र ने आपके लिए क् या र है जैसे तुम सीखते हो कि मसीह को पर र तथ मित्रों, आपके सहयोगियों तथ पड़ौसिों के बीच प्रस्तुत करें| तुम युद् करन सीखो| यह आगे की कार् यव ह क पठ् यकम है, जिसकी रुपरे को इसलिये बन ग है जिससे आपकी मदद मसीह जीवन की शुरुआत सह दृष्टिकोण तथ स नों

• 13



के सथ अच् छी लड़ाई कैसे लड़ा जए इसके प्रति पुस्तिक आपको एगी कि कैसे इसे करन है| स्तू वेब् ब र, जो एक सेृ त सेन क अधिकर थ और अब एक पस न है उन् ोंने आत् मक युद् के स्वभ के विषय है कि प्रत् य क मसीह, हे प्रभु में वह ज न ह क् ों न हो एक समय क योद्धा ह क् ों न हो, प्रतिदिन इसक समन करत है: प् रत् य क मसीह एक चलत-फिरत युद् क मैदन है| प्रत् य क मसीह अन् र में एक भ नक संघर्ष को लिए चलत है| और हम में से प्रत् य क युद् जितने के हर संभव मदद लेने के लिए ललयित होंगे| आप इसे शरर तथ आत् मा के बीच युद् कह सकते हो| तुम इसे जयवन् मसीह जीवन की खोज कह सकते हो| आप इसे जो हे बुल सकते हो| परन् त यह एक युद् में किसी को हर कर हर कर देन है| जब यह समप्त हो जत है, तो आप उन लोगों में होन होगे जो खड़ रहन हते हैं| युद् के सिद्धांतों को संसर भर में सैनिक विद्यालयों में सी जत है| ठक उसी तरह, आत् मक युद् भौतिकीय युद् की अपेक्षा भिन् नहं हैं| हर सैनिक न केवल जीवित रहन हत है, परन् त उनको यह समझन जरुर है कि उनके प्रतिदिन के जीवन में इन सिद्धांतों क इस्तेमल आवश् क हो जत है "हमर यह मल् लुद्, लोहू और मंस से नहं, परन् त प्र नों से और अधिकरियों से, और इस संसर के अन् कर के ह मों से, और उस दुष्टत की आत् मक सेनओं से है जो आक में हैं" (इफिसियों 6.12)| आप जीवित रहने से अधिक और भी बहुत कुछ कर सकते हैं| आप जीत सकते हैं, और आपकी जय में मसीह को आदर मिलेग| जब आप उनके वचन की सच् चाई को सीखते हो तो परमेश्र से मँगे कि आपको बुद्ध तथ शकति दे| उनकी सच् चाई को समझने के लिए अंतर्दृ ष्टि मँगे, जीवन में लगू करने के लिए सहस मँगे, और दूसरों से टने के लिए प्रेम को मँगे| हम आपको आमंत्रित करते हैं कि हमरे सथ सीखें, आत् मा से सीखें जैसे वह आपको विश्वास की अच् छी लड़ाई लडने क निरदे श देत है| डॉन अल् मन की ओर से, जो मेरे सथ सह-लेखक हैं और सथी सैनिक है, तथ सम् पू र् तुमि कर्म रगण, जिन् ोंने इस परियोजन में सहयोग है, उनके जीवन के लिए हम धन् यवाद करते हैं| हमर ईमनदर प्रार् न है कि आप परमेश्र के ने ले बड़ कहनी और उनके सृष्टि को पुर्वास में लने में अपनी भूमिक निभओगे| आपको एक महत् पूर्ण भूमिक अद करनी है| पर र में वागत है, लड़ई में वागत है! डॉ. डॉन एल. डेविस विचित, केंसस, अद्वे ट 2014 ज सकें| यह निरदे श

~ स्तू वेब् ब र| स्पिरिट रियर्स| सिस्टर्स, ओआर: मुल् नोम पब्लिशर्, 2001, p . 16|

पठ 1 महान कथा में हमारे स् वंय का पाया जाना हमरे कहनी को परमेश्र की कहनी के सथ जोड़न

परमेश्र क महन अनुग्ह हमें जो प्रभु के बुद्ध तथ अंतर्दृ ष्टि पर विश्वास करते हैं बहुत त से द ग है| उन् ोंने हम पर उनके इच् छा के रहस्य को प्रगट क है, जो मसीह में उनके स्वंय के उद्ध श् में लंगर डले हुए हैं, एक महिममय योजन जो अब समय पूर होने पर प्रगट हुआ है, स्वंय परमेश्र की योजन जो सब चीजों को उनके पुत्र मसीह में एक कर रह है, इसमें स्वर्ग और पृथ् व के सर चीजें शामि ल हैं| ~ पौलुस इफिसियों को लिखत है (इफि. 1.8-10) इस सत्र के अंत तक, आप महन कथ में हमरे स्वंय क प जन को विश्वास करने के द्वार अपनओगे: • ब्म् हाण् क परमेश्र, सर्वशकतिमन प्रभु परमेश्र, एकमत्र, सच् चा, और अनंतकल क परमेश्र है, जो तीन व् यतित् ों में है: पित, पुत्र और पवित्र आत् मा| • परमेश्र सरे चीजों क सृष्टिकर्त है, दृश् और अदृश् , और जिसने मनुष् ज को अपने स्वंय के स्वरूप में बन है| • परन् त शैतन तथ पहले मनुष् क जोड़ा की आनज्ञाकरित से, सृष्टि श्रापित हुई, परन् त परमेश्र ने प्रतिज्ञा और उनके पस बुरई पर जय पने की योजन है और वह सब कुछ उद्धारकर्त, प्रभु यीशु मसीह के द्वार पस जीतेग| अनंतकल के परमेश्र, मेरे पित तू अपने वचन में मुझ से कहत है कि तू ह सरे ज्ञान तथ बुद्ध क स्रत है| प् यारे पित, मैं इसे सत् के रूप में स्वीकर करत हूँ, और मैं मँगत हूँ कि तू मुझे स्वर्गी बुद्ध दे, जिससे मैं वचन की सच् चाई को सह र से विभ त कर सकूँ (2 तीमुथियुस 2.15)| कृप कर मुझे निरदे श दें तथ सी एं जिससे मैं उस मार् में ज सकूँ जिसमें मुझे जन हिए (भजन संहित 32.8), और मेरे कदमों क मार् दर्शन करें| मेरे कन को तेर आ ज सुनने की ओर मोडें, और जिस तरह मैं सोचत हूँ और कहत हूँ उस ओर मुझे सह करें, और जब मैं भटक जऊँ तो मेर अगु ई करें| पित, मुझे अच् छ और बुरे में भेद करने वरदन दें, और मुझे अध् यन करने क बल दें जिससे मैं भकतिमय और अभकतिमय शिक्षाओं, आत् माओं, और *शैतान – शैतन दुष्ट क व् यतिगत नम है, जो परमेश्र तथ मनुष् ज क शत्रु है| *मनष् का जोड़ा – आदम और हव् वा की सृष्टि परमेश्र ने पहले पुरुष तथ स्त्री के रूप में , उन्ें परमेश्र के स्वरूप में उनके सथ संबंध रखने के लिए बन ग , अर्थपूर्ण कमों को करने के लिए, और परमेश्र के सिद् संपन् त क आनंद लेने के लिए बन ग |

उद् धेश्

बुद के लिए प् रारंभ क प्रार्थना

15

16 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

वरदनों में अंतर कर सकूँ| पवित्र आत् मा के द्वार मुझे बतएं कि आपकी इच् छा क् या है, और मुझे ऐसी अंतदृष्टि दें कि सम् पू र् ह्रदय से आपके उद्ध श् को लेकर चल सकूँ| प्रिय प्रभु, कृप कर जल् दी से सुनने, धीरे बोलने, और धीरे से क्रो करने में मेर मदद करें ( कूब 1.19)| मेरे मुँह के वचन और मेरे ह्रदय क ध् यान तेरे सम् मु ग्हण योग् हों| मुझे अनुमति दें कि आपकी सच् चाई को बुद्ध के सथ कहुं जिससे जितनों के सथ मैं तें करूँ वे आप की सच् चाई को समझ सकें और इससे लभ लें| इस अध् यन में मुझे सी एं कि तेरे वचन और निरदे श को प्त करूँ| यीशु, मेरे प्रभु और उद्धारकर्त के मजबूत नम से मैं इन चीजों को मँगत हूँ, अमीन| चीजों से जुड़ा हुआ होत है| हजरों लोग विश्वास करते हैं कि ब्म् हाण् में केवल हम मत्र नहं हैं, यद्धप वे तत् काल इस त क सुझ देते हैं कि उन्ें यह पत नहं है कि यह जीवन कहँ से आ है, यह क् या है| अन् विश्वास करते हैं कि मनवज स्वंय सूरजों और आक गंगओं की आक ीय पिंड के विस्तृत समुद् में है| कुछ और हैं जो विश्वास करते हैं कि मनवज क विकस कृतिक प्रक्रिया के द्वार हुआ है, दूसरों के कहने क अर्थ है देवतओं*, और अन् ऐसे भी हैं जो सुझ देते हैं कि इस तरह के चीजों को जनन संभव नहं है| बचपन में बढ़ते समय आपके दृष्टिकोण क् या थे कि तुम कहँ से आये हो, और स्वर्ग और संसर के उत् पत्त के रे में आपको कौन से वि र को सी ग थ? 2. "एक समय की बात है. . .!" बचपन से हम में से अधिकतर लोग कहानि ों को सुनते हुए बड़ हुए हैं – नर्सर कवितओं के समन, परियों की कहानि ों और अन् कहानिँ जो बच् ों के लिए तै र की गई हैं, जिन्ें घरों स्कूल में सी जत थ| संसर में जहँ कहं मनवजाति रहती है, वे कहनी बतन तथ सुनन पसंद करते हैं| फिल् , पुस्तकें, हँसी-मजक, ट.व् ही. कार् यक् रम, वृत्तचित्र, सोशल मी , सम र पत्र, और रेडियो – हर दिन हम दर्जनों कहानि ों को सुनते हैं, कुछ सत् , कुछ झूठ, कुछ प्रेरणद क, और अन् लज् जापूर्ण होते हैं| क् या यह आपको आश्चर्य नहं करत कि स्वंय इबिल एकमत्र बड़ कहनी को बतती है? पवित्र स्त्र पुस्तकों (पूरे 66 पुस्तकें, जिन्ें कई लेखकों ने 1500 वरषों से अधिक समय में ल है) क ग्थर लय है, परन् त ये सब एक ह कहनी को बतते हैं – परमेश्र, और उनकी इच् छा है की वह सृष्टि को न हत है| समन् त कह ों के रे में आप क् या सीखते हैं? क् या आपने कभी सुन है कि इबिल एकमत्र कहनी को बतती है वह है परमेश्र और उसक उद्धार? जिन कह ों को हमने सुन है प है उनके बीच क् या अंतर है, और इबिल के लेखकों ने एकमत्र कहनी बतई है परमेश्र और संसर को उनके द्वार जने ल उद्धार? 1. क् य ब्रम् हण्ड में केवल हम ही हैं? कई हॉलीवुड फिल् ों में ब्म् हाण् में अजनबी जीवन को ग है, जो समन् त नकरत् क बुर

सबध

* देवताओ – देवत अलौकिक ईश्र हैं जिनके पस महन समर् थ् होती है|

पठ 1 महन कथ में हमारे • 17 3. "जितना हो सके मैं कह सकता हूँ, मैं किसी भी योजना को नही देखता हूँ|" विश्वास के आरम् से, प्रेरितों के समय के कुछ देर द, विश्वासियों ने उनके विश्वास पद्धत की पुष्टि जो धार्मक सिद्धांत कहलत है उनके मध् म से की है| उनमें से दो सबसे अधिक पह न पें हैं और सम् पू र् इतिहस में उन्ें सुन ग तथ आज भी प्रेरितई सिद्धांत और निसेने सिद्धांत सुन जत है (देखें परिशिष्ट)| ये दो विश्वास के अंगीकर क संकषिप्त रूप हैं जो परमेश्र के दर्शन कि परमेश्र कौन हैं, उन् ोंने मसीह में क् या है, और कैसे सृष्टि को परमेश्र के समय और प्रणली के अनुसर पुर्वास में ल जएग क सरंश देते हैं| हलंकि, कुछ लोग ऐसे हैं जो विश्वास नहं करते हैं, और वे तर्क देते हैं कि कॉसमॉस (ब्म् हाण् ) की रचन अक त बिन किसी उद्ध श् उद् ध श् देने ले के बिन हुआ है| वे कहते हैं कि कोई ऐसी योजन नहं है जो सब कुछ को आपस में जोड सके, और ऐसी कोई भी एक व् याख् या नहं है जो हमें जनने में मदद करे कि हम क् ों यहँ पर हैं, हम कहँ ज रहे हैं, और अंत में सब कुछ कैस होग| नस्तिक (जो परमेश्र के होने को अस्वीकर करते हैं) कहते हैं कि परमेश्र जीवन के लिए किसी बड़ी योजन के रे में सोचन मूर्खत है| वे यह तर्क देते हैं, कोई परमेश्र नहं है, ब्म् हाण् के तत् मत्र उपस्थित हैं, जीवन संसर क कोई भग् उद्ध श् नहं है| सं द (जो कहते हैं कि हम कभी भी यह जन नहं सकते हैं कि परमेश्र है) कहते हैं कि यद्धप परमेश्र है, पर हम उसे जन नहं सकते हैं, और हम सबसे अच् छी आ करते हैं कि अंत में चीजें सह हो जए, द हो| कैसे प्रेरितई तथ निसेने सिद्धांत उन आपत्तियों क उत्तर देने में मदद करत है जो तर्क करते हैं कि परमेश्र नहं है न ह ब्म् हाण् के रे में कोई योजन है? इबिल में हम परमेश्र तथ मनवज की खोज करते हैं, जो यीशु मसीह हमरे प्रभु पर केन् द्त है| परन् त यह महन कथ हमरे पढ़ने से बडकर एक कहनी है; यह कुछ ऐस है जिसमें हम भग लेते हैं| यीशु के अनु ी के समन, आपके पस अब एक नयी पह न है और आप महन कथ में हमरे स्वंय के पए जने में एक भूमिक निभ सकते हैं| ब्म् हाण् की सृष्टि सर्वच् * और त्रिएक* परमेश्र: पित, पुत्र, और पवित्र आत् मा के द्वार की गई है| वे समय से पहले जी रहे थे, अनंतकल के महिम में जी रहे थे, और उनमें किसी चीज क अभ नहं थ, फिर परमेश्र ने एक ऐसे संसर की सृष्टि करने को चुन जहँ मनवज को उनके समनत तथ स्वरूप में बने , जो उनके सृष्टि के परिपूर्णत क अनुभव कर सकें| परन् त इस ब्म् हाण् को अनज्ञाकर दूत* क रजकुमर शैतन ने गड़ बड़ में डल | परमेश्र के रज् को उखाड़ फेंकने के मकसद से दुष्ट ने मनुष् क *सरवोच् – सर्वच् असीमित समर् थ् क ह ल देत है जो प्रकृति और इतिहस के घटनओं को नियंत्रित कर सकत है| *त् एक – त्रिएक कहने क दूसर तरक है "तीन व् यति, परन् त एक परमेश्र|" कभी-कभी शब् "त्रिएक" क इस्तेमल एक परमेश्र, परन् त तीन व् यतित् ों में होने क ह ल देत है| *दूत – दूत अलौकिक णी हैं जिनकी सृष्टि परमेश्र ने मनुष् की अपेक्षा अधिक समर् थ् और बुद्धमनी देकर है|

विषय सूची

18 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

पहल जोड़ा (आदम एवं हव् वा) की पर की, कि वे परमेश्र के विरुद् विद्रह करें, जिससे मनवत श्रापित हो जए और छुटकरे की कोई आ उनमें बची न रहने पए| इस विद्रह से निपटने में, परमेश्र ने निश्चय कि वह एक विजेत, एक छुटकर देने ले को, उठ खड़ा करेग, जो इस पतन क उप र करेग और सदैव कल के लिए इस श्राप के प्रभ को समप्त कर देग| परमेश्र ने अब्राहम से कि वह प्रतिज्ञा के मसीह (अभिषिक् जन) को ले ग, और एक ऐसी ज को खड़ा करेग जिससे मसीह आयेग (इस्राएल)| और जब समय पूर हुआ, तब पित ने पुत्र, यीशु को भेज, कि वह उनकी महिम प्रगट करे, उनके लोगों को छुटकर दे, और उनके सृष्टि को ए| यीशु ने उनकी शिक्षा तथ उनके आश्चर्यकर्म के समर् थ् के द्वार रज् के बुद्ध को प्रगट | उन् ोंने क्र स पर मरने के द्वार स्वेच् छा से अपन जीवन , उन् ोंने हमरे पप* के दण् क भुगतन कर और दुष्ट के कम को न | परमेश्र ने यीशु को मरे हुओं में से जिल , और लीस दिन द वह स्वर्ग* में जयवन् प्रभु के समन उठ ग | उनके पुनरुत् थान के प सवें दिन के द, उन् ोंने यीशु के चेलों* के सथ ल होने ले और कली के लोगो को सशक् बनने के लिए पवित्र आत् मा को भेज | पित के पर र के समन, मसीह की देह, और पवित्र आत् मा क मन् दर होने के करण कली की नियुकति इसलिये की गई है कि वो इस महन कथ में जुडने के लिए हर कहं से लोगों को आमंत्रित करे| जब हमरे विश्वास की अच् छी लड़ाई समप्त हो जएगी, तब यीशु सम् पू र् ब्म् हाण् में परमेश्र के रज् को त करने के लिए पस आयेग, जहँ आँसू, बीमर, और मृत् य समप्त होगी, और वह उनके लोगों के सथ सर्वद के लिए रज् करेग| उनके नम की महिम हो!

*पाप – जो कुछ परमेश्र नह हत है उसे करन पप है, हे हम जो कहें, हम जो कुछ करें, हम जो सोचें| *स् वर् में उठा लिया गया – यीशु शररिक रूप से पृथ् व को छोड और आक में चल ग जबकि उनके अनु ी देख रहे थे| उनके मृत् य और पुनरुत् थान के द, पृथ् व को छोडकर उसक स्वर्गरोहण होन जयवन् होने क भ है जिससे वह स्वर्ग में उनके सिंहसन पर जयवन् रज के समन बैठ सके| सथ में यह पवित्र आत् मा के आने को गति , जो मसीह ों को हर कहं संसर के रों तरफ बल दे सके| *चेले – एक चेल यीशु क विद्धयार्थ अनु ी है| प्रत् य क मसीह एक चेल है| कभी-कभी शब् "चेल" क इस्तेमल विशेष रूप से जत है, विशेषकर जब यीशु पृथ् व पर की सेवकई में रह परमेश्र के लोगों क समुद है जो यीशु को प्रभु मन कर स्वीकर करते हैं, जो उनके उद्ध श् ों को पृथ् व पर पूर करते हैं, इसमें भूतकल, वर्तमन तथ भविष् , और पृथ् व के हर न और सम् पू र् इतिहस से लोग ल हैं| लोगों को चुन थ| *कलीसिया – कली

• 19

पठ 1 महन कथ में हमारे

विशेषकर जब हम इबिल संबंधित कहनी की ओर आते हैं तो यह प्रश् हमें प्रज् जवलत करे, जिसमें बदल होने के तत् दुगुनी एवं तीन गुनी हो जए| उस पुस्तक अर्थत इबिल के कह ों तथ कहनी के एक पन् न को पलटने के लिए पुन: पुन: उसक समन करन होग| जैसे कि हम में से किसी एक ने कहं है, ‘परमेश्र ने इतिहस के गंभीर क्णों में उनके स्वभ तथ इच् छा को प्रगट करने के लिए उनके पराक्रमी कमों को प्रगट , और परमेश्र गर ों तथ उत् पीडत लोगों के छुटकरे के लिए हस्तक्ष प |’ हस्तक् ष प के क्ण परिवर्तन के क्ण थे, जो किसी क्ण की आ करत है वह कुछ प्त करने क नहं, जब संसर जिस चीज के रे में सोच कर अमहत् पूर्ण स त करत है कभी संसर के सृष्टिकर्त ने उसे महत् पूर्ण सो थ|

~ रोनल् जे. सिडर एंड मइकल ए. किंग प्रीचिंग अ उट लइफ इन ए थ्र टेनिंग वर् ल् | फिलडेल् फिया: द वेस्टमिन्स् र प्रेस, 1987, pp . 56-57|

मसीह के बिन, इबिल एक अपरिचित कित है| उन्ें केंद् में रख कर पढ़ें, जितने कह ों को अब तक बत ग है उनमें यह महन है| इबिल क महत् तब कम हो जत है जब इसे जीवन को निरदे श देने ले निरदे श पुस्तिक समझ जत है| प्रेरितों और स्वंय यीशु के अनुसर इबिल एक प्रगटकरण नटक है जिसके केंद् में केनद्रीय पत्र यीशु मसीह क है| ~ मइकल होरटन| क्राइस्टलेस क्रिश्चियनट| ग्रैड रैपिड् , मिशिगन: बेकर बुक् , 2008, पृष्ट 142| महान कथा में हमारे स् वंय का पाया जाना पाठ 1 बाइ ल अध् यन निम् नलिित पवित्र स्त्र को पें और प्रत् य क इबिल संबंधित शिक्षा के सथ जुड़े हुए प्रश्नो क संकषिप्त में उत्तर दें| 1. प्रभु परमेश्र ह एकमत्र परमेश्र है, और उसी ने ब्म् हाण् की सृष्टि की है| पें उत् पत् त 1.1-3.15| a . इस कहनी में परमेश्र ने किस भूमिक को निभ ?

b . आदम और हव् वा ने इस कहनी में कौन सी भूमिक निभ है?

c . इस कहनी में सर्प ने कौन सी भूमिक को निभ है?

20 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

2. सरे लोग परमेश्र की इच् छा तथ समर् थ् के द्वार बने गए हैं तथ अस्तित् में हैं| पें प्रेरितों के कम 17.24-31| कम से कम तीन चीजों क उल् ले करें जिन्ें पौलुस ने परमेश्र की महन कहनी के रे में तें करते हुए एथेंस ों से कह है| 3. परमेश्र ने सृष्टि, इस्राएल के भविष् द्क्ताओं, और आखिर में, इन अंत के दिनों में यीशु मसीह के द्वार सम् पू र् मनवज से तें की है| पें इब्रानियों 1.1-4 a . परमेश्र ने मनवज से तें , इसक वर्णन लेखक कैसे करत है?

b . यीशु के द्वार परमेश्र ने हम से तें लेखक ने किस तरह क महत् है?

इस त पर, इब्रानियों के

4. परमेश्र मनुष् होकर और इस पृथ् व पर जीवन जीने के द्वार कहनी से जुड़ है! पें यूहन् ना 1.1-14| a . "वचन" कौन है और परमेश्र के सथ उसक संबंध क् या है?

b . सम्पू र् सृष्टि के सथ वचन क संबंध क् या है?

c . जो वचन पर विश्वास करते हैं, वे क् या प्त करते हैं, और वे कैसे "जन् " लेते हैं?

5. यीशु में परमेश्र के प्रेम की कहनी को सम् पू र् लोगों में हर कहं कह जत है| पढ़ें मत्ती 28.18-20| यीशु ने उनके अनु ों को कौन सी आज्ञा द है? 6. सुसम र उद्धार क सुसम र है यह उस महन कहनी क सरंश है जिसमें हम जीते हैं| पें 1 कुरिन् थिों 15.1-8| जो पौलुस कहत है क् या वह पहले महत् क है? a . "अनुग्ह" क् या है और क् ों सुसम र सदैव "अनुग्ह" के रे में होन हिए?

b . परमेश्र ने मसीह में जो कुछ

है सुसम र वह सन् दे है| क् या

हुआ थ?

पठ 1 महन कथ में हमारे • 21 c . जब यीशु ने उसक कम समप्त , तो उन् ोंने स्वंय को किस पर प्रगट ? 7. नसरत क यीशु परमेश्र की कहनी क केंद् बिंदु है – उनक जीवन, मृत् ,य और पुनरुत् थान| पढ़ें मरकुस 1.1-13| मिलें जब यीशु ने बप तब परमेश्र ने स्वयं को पित, पुत्र, और पवित्र आत् माके रूप में कैसे | a . पिता ___ एक कबूतर क आकर b . पुत्र ___ स्वर्ग से आ ज c . पवित्र आत् मा ___ नसरत क यीशु में लने, चंगई, और चोट ए हुए तथ गर ों के लिए आशीष क है| पढ़ें ह 61.1-4| ह के द्वार कहे गए पँच भविष् यवाणीयों को सूचीबद् करें जो यीशु के विषय हैं जिन्ें वह उनके आगमन के द जो कुछ खो हुआ है उसे जीतने के लिए करेग| मेर नम नी है| यह चीन क समन् नम है| मुझे यह कैसे मिल? मैंने इसे नहं चुन| मैं संभवत चीन के सूचीबद् नमों के मध् म से नहं ग और इसे नहं चुन| मेर नम नी है यह मेर चुन हुआ नहं है, और इसके आल , मैं कुछ भी ऐस नहं कर सकत हूँ जिससे मुझे आंशिक परिवर्तन करन पड़े| मैं नी हूँ, और मेर पित भी नी है क् ोंकि मेरे दद जी भी नी थे| यदि मैं नी के समन कम करूँ तो मैं नी हूँ, यदि मैं नी के विपरत कम करूँ तब भी मैं नी हूँ| यदि मैं चीन गणतंत्र क रष्ट्रपति बनूँ तब भी मैं नी हूँ, यदि मैं गलियों क र बनूँ तब भी मैं नी हूँ| मैं कुछ कर नहं सकत हूँ करने से बच सकत हूँ जो मुझे नी से अलग बन सकत है| हम पपी हमरे स्वंय से नहं हैं, परन् त आदम से हैं| यह इसलिये नहं कि हमने व् यतिगत र से पप है पर मैं एक पपी हूँ, परन् त जब मैं पप तब मैं आदम में थ| क् ोंकि जन् से मैं आदम के द्वार आ , इसलिये मैं उसक एक भग हूँ| इससे अधिक क् या हिए, मैं इसमें परिवर्तन के लिए कुछ नहं कर सकत हूँ| मेरे बर्ताव में सु र करने के द्वार मैं इसे नहं कर सकत हूँ, पर अपने स्वंय को आदम क क भग कर सकत हूँ, और इसलिये मैं पपी हूँ| ~ मैन नी| द नार् ल क्रस्चियन लइफ| फोर्ट शिंगटन, पीए: क्रस्चियन लिटरेचर क्र सेड, 1974, p . 26| 8. वह कहनी जिसे परमेश्र यीशु में बत रह है यह कहनी पुर्वास

22 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

इबिल के अनुसर, इब्रओं क प्रभु परमेश्र एक सच् चा परमेश्र है, जिसने स्वंय को एक परमेश्र तीन व् यतित् ों (पित, पुत्र और पवित्र आत् मा) में प्रगट है| परमेश्र ने हमें उनके महन कहनी को बत है (उदहरण के लिए, महन कहनी) जो उनके प्रेम के रे में तें करत है और वह निश्चय है कि वह सृष्टि को न होने से एग| परमेश्र ब्म् हाण् क सृष्टिकर्त है, जिसने जहँ कुछ नहं है (एक् निहिलो) उसमें से सम् पू र् चीजों को बन है, और निर्णय कि वह एक ऐसी ज को बनएग जिसमें से होकर एक अगु तथ उद्धारकर्त आएग| यद्धप उन् ोंने अपने लोगों को असली रूप में बिन पप के बन , पर उन लोगों ने उनके विरुद् विद्रह , उनके अनुग्ह से गिर गए*, और सम् पू र् सृष्टि तथ मनवज पर श्राप ले आए, जो मृत् य पर समप्त होत है| परमेश्र ने प्रतिज्ञा हुआ एक उद्धारकर्त को भेज जो हमरे पपों के मूल् ों क भुगतन करने ल थ, वह स्वंय पर हमरे अनज्ञाकरित क दण् लेने ल थ, और विश्वास के द्वार हमें अनन् जीवन देने ल थ| नसरत क यीशु ह वह उद्धारकर्त है, जो हमें छुटकर देने के लिए मर| अब उसमें विश्वास से, हम दण् तथ पप के समर् थ् से छुडए ज सकते हैं, और अनन् जीवन को प्त कर सकते हैं, परमेश्र जिस कहनी को बत रह है हम उसमें ल हो सकते हैं! इस पठ से संबंद् परिशिँ जिनक आप अध् यन तथ मनन करेंगे निम् नलिित हैं: एक समय की त है (परिशिष्ट 1) कहनी को परमेश्र बत रह है (परिशिष्ट 2) पहले से समय के परे तक (परिशिष्ट 6) प और तत् (परिशिष्ट 7) यीशु मसीह, इबिल क विषय और शीर्षक (परिशिष्ट 22) निसेन धार्मक सिद्धांत (परिशिष्ट 24 और 25) प्रेरितई धार्मक सिद्धांत (परिशिष्ट 26) कि महन नटक को खेल ज रह है जिसे हम "युगों क संघर्ष" कह सकते हैं| पवित्र स्त्र तथ इतिहस की योजन दो रज् ों के बीच होने ले संघर्ष की कहनी को प्रगट करती है जिसमें हम सब परमेश्र की योजन के अनुसर अपनी भूमिक को निभ रहे हैं| यह इतिहस में परमेश्र के रज् के उद्ध श् के पृष् ठभूमि के विरुद् है जिसे इबिल संबंधित लेखकों ने है तथ पवित्र स्त्र की व् याख् या है| ऐस कह जत है कि सम् पू र् संसर एक मंच है| किसी भी अ में यह सह नहं है

साराश

परिशिष् टियाँ

~ जेम् डे यंग और सर हुरटी| बियॉन् द ऑब्विस| ग् र षम, ओआर: विज़न हउस पब्लशिंग, 1995, pp . 83-84|

* उनके अनुग् रह से गिर जाना – जब आदम तथ हव् वा शैतन के विद्रह में ल हो गए, तब उनक पप परमेश्र के सिद् संबंध से उन्ें अलग कर ; उनके कार् उन्ें परमेश्र से अलग कर दिए, और संसर में मृत् य को लेकर आ |

पठ 1 महन कथ में हमारे • 23 सर्वशक् तमान परमेश् र नासरत के यीश में पृथ् व पर आया, और क्रूस पर अपनी मृत् यु के ारा स् वंय से ससार का मेल कर लिया (2 कुरिन् थिों 5.19)| निम् नलिित मुददों और रणओं को पें तथ उन पर मनन करें, और जिन मूलपठों क आपने ऊपर अध् यन है उस पर आ रित होकर उनके प् र के उत्तर और अंतर्दृ ष्टि को उपलब् करें| 1. "मैं नही सोचता हूँ कि कोई परमेश् र है|" कम के समय दोपहर के भोजन में, जेनिस इस वि र पर चर्च कर रह थी कि कैसे संसर उनके सह कर्म लेह के पस आ | लेह विश्वास करती है कि ऐस कोई प्रमण नहं है कि परमेश्र, कोई ईश्र संसर में है| सभी धर्मो में परमेश्र कौन है, कितने ईश्र हैं इस रे में भिन् वि र हैं, और जैसे कि ये पवित्र ट में भी है| जेनिस मसीह में विश्वास करती हैं, वो यह भी विश्वास करती हैं कि सर्वशकतिमन पित ने संसर को बन , और यह सृष्टि बहुत ह सुन् र है और जो कुछ हुआ इसमें वह बहुत ह अदभुत है, बिन किसी उद् ध श् अर्थ के| यदि तुम जेनिस होते, तो लेह के सथ तुम इस त को कैसे कहते कि इबिल परमेश्र और उनके संसर की सृष्टि के रे में क् या कहत है जिसक अध् यन आपने अभी है| 2. "क् ों परमेश् र चीजों को अभी परिवर्तन नही करता है?" कुछ नये मसीह ों के सथ इबिल अध् यन में, यह प्रश् आ , "यदि परमेश्र सृष्टिकर्त है, और वह सब चीजों के लिए कम कर रह है, तो फिर संसर में क् ों डर नी चीजें होते रहते हैं?" कुछ लोग विश्वास करते हैं कि संसर में जो कुछ हो रह है परमेश्र उनमें से कुछ चीजों के रे में नहं जनते है, जबकि दूसरे कहते हैं कि परमेश्र इनके रे में जनते है, परन् त उन् ोंने निर्णय है कि जो कुछ हो रह है उन चीजों में हस्तक्ष प नह करेगें| अब तुम जो कुछ जनते हो इस त पर आ रित होकर, इस प्रश् क तुम कैसे उत्तर दोगे कि अब चीजें संसर में जैसे हैं वे वैसे ह क् ों हो रहें हैं? हमने जो कुछ इस पठ में सी है हमें समझने में मदद करत है कि परमेश्र हमें एक र कठिन चीजों से जने की अनुमति देत है, कम से कम एक र? 3. क् य परमेश् र की ओर जाने के कई मार्ग हैं? आज कई लोग विश्वास करते हैं कि सरे धर्म समन रूप से महत् पूर्ण हैं और कई भिन् मार् हैं जो परमेश्र की ओर अगु ई करते हैं|भिन् समुद एक पर्वत के निचे से अलग अलग मार् लेते हैऔर पर्वत के शिखर पर पहुंचने के लिए अपनी शुरू करते है | उन सब क मकसद होत है कि पर्वत के शिखर पर पहुँचें (जहँ "स्वर्गी" जीवन है), परन् त वे भिन् नजर दृष्टिकोण लेते हुए, भिन् मार् पर चलते है|पहले हो द में (जिस तरह तर्क जत है) सभी चढ़ने ले (संसर के धर्म) ऊँ ई पर अपने मार् को पते हैं (आत् मकत तथ स्वर्गीत)| इस दृष्टिकोण से, सभी धर्म समन हैं, सचमुच सभी स्वर्गीत के रे में तें करते हैं, और उनमें से कोई भी परमेश्र को प्त कर सकत है| स्वर्ग की ओर कई मार् हैं इसके रे में हमरे अध् यन क तर्क कैसे तें करत है?

मख्

मामले का अध् यन

24 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

अब आपने मन फिर है (पप से अलग हो गए हो) और नसरत के यीशु को प्रभु स्तरर विश्वास है, आपने ऊपर से जन् है तथ सुसम र में विश्वास के द्वार परमेश्र के सन् तान बन गए हो| इसक अर्थ है कि परमेश्र ने आपको चुन है, और आप मनवज को ने की उनकी बड़ी योजन के एक भग हो, एक ऐसे जन जो उनकी महिम के लिए बनए गए हो| आप ऐसे ह परमेश्र की योजन और कहनी को नहं पढ़ रहे हैं, अब आप इसमें ल हुए हैं| अब आप यीशु के सथ विश्वास से जुड़ हो, और आपने पप की क्म प ी है, उनके पर र में अपने गए हो, और उनकी सेन में ल किए गए हो| जब आप यीशु में विश्वास करते हो, तो आप कहनी में जुड गए हो| इसक अर्थ है कि आप सभी कह ों के रे में सीखो, परमेश्र क् या कर रह है, वह हत है कि आप कैसे जियो, और वह आपक इस्तेमल कैसे कर सकत है कि उनके प्रेम और उद्धार की कहनी से जुडने के लिए दूसरों की मदद कर सको| डरन नहं; परमेश्र ने आपको सी ने के लिए अपन पवित्र आत् मा है, उन् ोंने आपको निरदे श देने के लिए परमेश्र क वचन , मसीह कली आपक मित्र है, और प्रार् न की समर् थ् आपको सह त देने के लिए है जिससे आप नये जीवन में महन कहनी क जीवन जी सको| अब आपके पस नये मित्र हैं, तथ सथ में नये शत्रु| आपको अंधकर के समर् थ् से ल ग है, और इसलिये अब आप शैतन के झूठों, तथ संसर के पर ओं और आपके पपी स्वभ के पुरने आदतों क समन करन सीखो| प्रत् य क न से लोगों के ह्रदयों तथ मनों को परमेश्र के पस में लने के लिए तुम् ह इस संघर्ष में परमेश्र के पक् में रहन है| लेकिन चिंत मत करो| क् ोंकि परमेश्र ने हमें मसीह जीवन जीने के लिए आवश् क चीजों को द है, जिससे परमेश्र को प्रसन् कर सकें तथ उसे महिम दे सकें, और इस महन कहनी जिसमें हम भग ले रहें हैं उसमें शत्रु पर जय प सकें| परमेश्र के सथ कुछ समय बितएं एवं स्वंय को उनकी ओर ले जकर सोचें, क् ोंकि उन् ोंने आपको अपन सन् तान बन और आपको अनन् जीवन है| उससे बल मँगे और निरंतर सीखने के लिए मदद मँगे और यीशु के चेले (अनु ी) और उनकी सेन में एक सैनिक के समन बढ़े| वह आपको न कभी छोड़ग न ह त् यागेग| पर र में वागत है, और लड़ाई में वागत है! मैं परमेश्र के स्वरूप में बन ग हूँ, यद्धप कभी मैं परमेश्र क शत्रु थ, मेर चुन परमेश्र के वैश्वक योजन में भग लेने के लिए हुआ है जिससे मनवज के गिरने के द्वार जो कुछ खो ग थ उसे पस जीत ज सके| है, जो की प्रभु यीशु के स्वंय की शिक्षा पर आ रित थ जिसे उन् ोंने मत्ती 6.9-13 और लूक 11.2-4 में चेलों को थ| प्रभु की प्रार् न क कली ने शताब्दियों से इस्तेमल

सबध

पुष

करना

प् रार्थना

पठ 1 महन कथ में हमारे • 25 हे हमरे पित, तू जो स्वर्ग में है, तेर नम पवित्र है, हम मँगते हैं कि तेर रज् आये और केवल मत्र तेर इच् छा पूर होवे, जैसे यह स्वर्ग में पूर होती है वैसे ह पृथ् व पर भी होवे| हमरे स्वस्थ के लिए आज हमें दिन भर की रोट उपलब् कर, कृप कर हमने जिन गलत चीजों को है उनके लिए हमें क्म कर, क् ोंकि हम ने उन्ें क्म है जिन् ोंने हमरे विरुद् गलत है| मेरे पित अनंतकल के परमेश्र, पवित्र स्त्र में मेरे लिए आपकी महन योजन तथ कहनी को प्रगट करने के लिए धन् यवाद| आपने ब्म् हाण् और विश् को बन , आप मेरे बनने ले तथ मेरे परमेश्र हैं| उद्धार क सुसम र सुनने के लिए मेरे ह्रदय को खोल, और यीशु में विश्वास से सरे लोगों को अनंतकल क जीवन देने के लिए आपक धन् यवाद| मैं विश्वास करत हूँ कि आप मुझ से प्रेम करते हैं, और मुझे है| आपने मुझे कहनी क ह बन है| आपकी आत् मा के द्वार मेर मदद करें कि कैसे मैं जीऊँ जिससे मैं आपकी महिम कर सकूँ, और उन चीजों के विरुद् खड़ा रह सकूँ जो मुझे आपसे से अलग रखते हैं और पस संसर की ओर लेकर जते हैं| आज आपको संतुष्ट करने के लिए मुझे अनुग्ह दें| यीशु के नम में, अमीन| जें www.tumi.org/sacredroots , हमरे पस एक भग है जो अतिरिक् लेखनी और वीडियो संस नों के लिए समर् पित है| नार् न गेइस्लेर| यीशु को समझने के लिए इबिल को देखें| यूजीने, ओआर: विप्फ़ एंड स्टॉक पब्लिशर्, 2002| अगले सत्र में, आप हमरे द्वार सूचीबद् शीर्षकों की खोजबीन करेंगे: 1. यीशु ने शैतन को पर त मार् बन | 2. हमरे मन फिरने और विश्वास के द्वार, परमेश्र के अनुग्ह से हमने मसीह की देह में | 3. हमरे विरसत के गरंट के समन हमें पवित्र आत् मा ग है| और परमेश्र के रज् से जुड़ने के लिए

प्रभ को ह्रदय से पकारना

अधिक अध् यन के लिए

अगले सत्र के लिए

1 यूहन् ना 3.8

पवित्र शासत्र को स् रण करना

1. एक अलग पन् न पर, इबिल के कहनी क सरंश दें| आपकी कहनी को कली के एक परिपक् विश्वासी के सथ टें| 2. परिशिष्ट को पें " इबिल प न कैसे शुरू करें|" 3. प्रतिदिन इबिल प ने की योजन को शुरू करें|

नियत कार्य

पठ 2 हमारा सूचीबद्ध होना युगों के वैश्वक संघर्ष में हमर भूमिक को स्वीकर करन

नसरत के यीशु में, जब आपने सच् चाई के वचन को सुन, जो परमेश्र के द्वार उद्धार जने ल सुसम र है, और उस में विश्वास से, तत् काल ह आप पर पवित्र आत् मा की प लग गयी, जो स्वंय ह भविष् के विरसत क तत् काल भुगतन है जब तक कि हम उस पर अधिकर न कर लें, उनकी महिम की स्तुति के लिए| ~ पौलुस इफिसियों के लिए (इफि. 1:13-14) इस सत्र के सम तक, हमरें सूचीबद् करन विश्वास के द्वार आप अपनओगे: • उनके पपहन जीवन और हमरे न में मरने के द्वार, यीशु ने शैतन को पर त और उन लोगों के लिए मार् बन जिससे जो लोग विश्वास करें वे परमेश्र के रज् में प्रवेश कर सकें| • मन फिरने (हमरे पपों से परमेश्र की ओर मुडन) के द्वार और विश्वास (यीशु से संबंधित कम की सच् चाई पर विश्वास करन), और परमेश्र के अनुग्ह से हमने मसीह की देह में प है| • हमें विरसत के प के तौर पर पवित्र आत् मा ग है| मेरे पित अनंतकल के परमेश्र, तेरे वचन में तू कहत है कि तू ह सरे ज्ञान और बुद्ध क स्रत है| प् यारे पित, मैं इसे सच् चाई के समन स्वीकर करत हूँ, और आपसे मँगत हूँ कि तू स्वर्गी बुद्ध देग, जिससे मैं वचन की सच् चाई को सह रीति से विभाजि त कर सकूँ (2 तीमुथियुस 2.15)| जिस मार् से होकर मुझे जन है कृप मेर निरदे श करें तथ सी एं (भजन संहित 32.8), और मेरे कदमों क मार् दर्शन करें| मेरे कन को आप की ओर लगे रहने दें जिससे मैं आपकी आ ज को सुन सकूँ, और जिस तरह मैं सोचत हूँ और बोलत हूँ उसमें मुझे अब सु रें, और जब मैं भटक जऊं तो मेर अगु ई करें| पित मुझे अच् छ और बुरे में भेद करने वरदन दे, और जब मैं भकतिमय तथ अभकतिमय शिक्षाओं, आत् माओं, तथ वरदनों को जनने के लिए अध् यन करत हूँ तो उनके बीच भिन् त करने क बल दे| पवित्र आत् मा के द्वार मुझे द एँ कि आपकी इच् छा क् या है, और मुझे अंतर्दृ ष्टि दे जिससे मैं आपके मकसद को पूरे ह्रदय से आगे सकूँ| प्रिय प्रभु, कृप कर मुझे जल् दी सुनने तथ उस पर ध् यान देने, बोलने में धीमे, और क्रो करने में धीमे रहने में मेर मदद करन ( कूब 1.19)| मेरे मुँह के शब् और ह्रदय के वि र तेरे दृष्टि में ग्हणयोग् हों| बुद्ध के सथ

उद् धेश्

बुद के लिए प् रारंभ क प्रार्थना

27

28 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

मुझे तेर सच् चाई बोलने की अनुमति दें जिससे जितनों से मैं तें करूँ वे समझ सकें और आपकी सच् चाई से लभ ले सकें| इस अध् यन में मुझे सी एं जैसे मैं आपसे वचन तथ निरदे श प्त करत हूँ| मेरे प्रभु तथ उद्धारकर्त, मैं इन चीजों को यीशु के बलशली नम से मँगत हूँ, अमीन| 1. "क् ों शैतान हमसे घृणा करता है – हमने उसके साथ कुछ किया है क् य?" नये समूह में, नये जन् लिए विश्वासियों के छोटे समूह में इबिल के कहनी के समय वे अपने शिक्क के सथ इबिल अध् यन कर रहे थे| अध् यन के दौरन, उन् ोंने प कि मनवज के पहले जोड़ आदम और हव् वा को शैतन ने झूठ और असत् से धो देकर उनसे पप कर | उनमें से एक विद्धयार्थ ने शिक्क से पू , "मैं इसे समझ नहं प | क् ों शैतन ने आदम और हव् वा से झूठ बोलकर उन्ें सम् या में डल, तथ सब चीजों को गड़ ब कर | उन् ोंने उनके सथ क् या – क् ों शैतन लोगों से बहुत घृण करत है?" अब तुम इबिल तथ कहनी के आ र पर जो कुछ जनते हो, उनके आ र पर तुम क् ों सोचते हो कि पवित्र स्त्र यह कहत है कि शैतन दोष लगत है, धो देत है, और मनुष् ों को बहुत ह अधिक सतत है? उन् ोंने आरंभ से ऐस क्ों है? 2. "निश् य मैं विश् वस करता हूँ, परन् तु मैं यह नही सोचता हूँ कि कम से कम इन सब से जाने के लिए मैं तैयार हूँ, पर नही|" जब मार् ने परमेश्र के अनंत जीवन के सुसम र को उनके चचेरे भई रल् को सुन तो वह कुछ ऐसे चीज की ओर ग जिसे वो नहं जनत थ कि वो उसे कैसे समझए | उन् ोंने मार् को बत कि परमेश्र क स्वयं को देन न् मय है, यहँ तक कि आकर्षणीय प्रतीत होत है, पपों से परमेश्र की ओर मुड जन| (रल् ऑनलइन खेल खेलने में बहुत ह महिर थ, इनमें से कुछ कली विद्या थी जो शैतन के द्वार परे न होने के कहनी को कहत थ|) कहनी के रे में मार् की ग ह सुनने के द, रल् ने कह, "मैं सचमुच में देख सकत हूँ कि परमेश्र ने हमसे कितन प्रेम है कि उन् ोंने यीशु को भेज – यह अदभुत चीज है| परन् त इमनदर से, अभी मैं यह सोच नहं सकत हूँ कि मैं इसके लिए समर् पित हूँ, विशेषकर इसक अर्थ है कि मुझे पूर्णत परिवर्तन होन पड़ग और अभी मैं जो कुछ कर रह हूँ उनमें से कुछ चीजों को मुझे छोड देन पड़ग| यह कठिन कम है| समन् त मैं यीशु पर विश्वास नहं करत हूँ और यह पर्यप्त है? क् ों मुझे वैस होन है जैस आपने कह है, "मेरे पपों से मन फिरन?" मैं नहं सोचत हूँ कि मैं अब भी उस तरह के अत् यिक समर्पण के लिए तै र हूँ| क् या कोई ऐस मार् है, एक मार् , जिससे सरे मन फिरने के बिन् ओंद से ज सके? उद्धार पने के लिए आपको मन फिरने की आवश् कत है इस बिंदु पर मार् ने र ल् को कैसे उत्तर होग? स्पष्ट करें| 3. "आप यीश के चेले है, इसलिये आपको लक्ष पर रखा गया है|" कई ऐसे लोग है जो मसीह विश्वास को केवल परमेश्र क प्रेम तथ अनुग्ह के

सबध

पठ 2 हमर सूची • 29 रूप में कहते हैं, कुछ लोग विश्वास के युद् को परमेश्र के पक् में सूचीबद् करन समझते हैं| सच् चाई ये है कि जिस क्ण एक व् यति मन फिरत है और यीशु में विश्वास करत है, तब से वह युद् में ल होत है, जिसे एक मसीह लेखक ने "सरे युद्धो की मत" कह है| मसीह के लिए तथ उनके रज् के लिए "हँ" कहन, संसर की पर ओं को, हमरे पुरने पपमय स्वभ के आतंरिक भ नओं को, और शत्रु के झूठ को "न" कहन है| इनमें से कई झूठों ने हमें उसी तरह क आकर है और उनमें से हमने जीवन भर कई झूठों पर विश्वास है| एक मसीह होने क अर्थ एक सैनिक होन है और परमेश्र के शत्रु क लक्ष बनन है| जब से आपने मसीह यीशु को उद्धारकर्त तथ प्रभु ग्हण है तब से किस तरह आपने इसे सह प है? पिछले सत्र में (महन कथ में हमरे स्वंय क प जन), हमने सी कि मसीह में उद्धार के कहनी को सीखने से, जीवन के कई बड़ प्रश्नो क उत्तर प्त होत है जिसे इबिल बतती है| परन् त जितन आश्चर्यजनक यह महन कथ है, वैसे ह इस महन कहनी को यूँ ह समन् त आनंद के लिए नहं सुनन है, जैसे कि जब आप एक फिल् देखने जते हो तो उसे देखते हो और फिर उनके रे में भूल जते हो| जब हम परमेश्र के ने और मसीह में पुर्वास में लने की कहनी सुनते हैं, तब हमें परमेश्र के सथ सहयोग करने क निर्णय करन है| हमें उनके कहनी के रे में उनकी ग ह प्त करनी है, और इसे सच् चाई के रूप में स्वीकर करन है, ऐस होने दो कि यह हमरे स्वंय की कहनी बन जए, और फिर विश्वास की अच् छी लड़ाई में भग लेन शुरू करें| हमें परिवर्तन होकर, प्रभु की सेन में स्वेच् छा से सूचीबद् होन है| इसमें हमरे स्वंय की कोई योग् त नहं है, और मसीह के नपन् ("हमरे न पर") मृत् य के द्वार जो की पूर्णत परमेश्र की द के द्वार है, जिससे वह सरे मनुष् ों तक सूचीबद्त के आमंत्रण को पहुँ सके| े जने क आमंत्रण युद् के लिए बुलहट है, जिससे अंधकर के रज् से उ ले के रज् में ज ज सके, एक जीवन जो स्वंय जीने में प्रभु यीशु मसीह के रजदूत हो जने के समन है, और भ्रष्ट तथ मिले हुए संसर में रहते हुए भी उनके अनु ी हो जन है| यदि आप अपन विद्रह तथ पप क अंगीकर करोगे, उससे मन फिरकर अलग हो जओगे*, और क्र स पर यीशु के मृत् य के द्वार परमेश्र से क्म मँगोगे, तो परमेश्र आपको शुद् करेग, और उनके सथ सह संबंध में रखेग| आपको मसीह की देह, परमेश्र क पर र, कली के अन् र र जएग| उद्धार के द, परमेश्र पवित्र आत् मा हम में अपन घर बनत है, और फिर वह दिन प्रतिदिन परमेश्र क आदर करने, मसीह की से करने, और उसक कम करने के लिए हमें बल देत है| पवित्र आत् मा परमेश्र के सम् पू र् वरदन क पूर्ण भुगतन है जो हमरे पस तब आएग जब यीशु पस आयेग; पवित्र आत् मा मसीह में हमरे भविष् के विरसत क पूर्ण आश्वासन है| पप से मन फिरन और विश्वास से मसीह को पकडें रहन शैतन के रज् से परमेश्र के रज् के प्रति हमरे को परिवर्तन करन है| जब आप ऐस

विषय सूची

* मन फिराना – मन फिरने क अर्थ है आपके बुद्ध को परिवर्तन कर देन, मुडन और दूसरे मार् में चलन, उस मार् में पस जन जिसे परमेश्र हत है| जब आप मन फिरते हो तो परमेश्र के सथ सहमत हो जते हो कि आप गलत जीवनपथ पर थे और आपके बर्ताव को परमेश्र की इच् छा के सथ परिवर्तन कर रहे हो|

Made with FlippingBook Online newsletter creator