ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
पठ 9 हमरे सहनशीलत क • 123 फिर भी, पवित्र स्त्र हमें इस त की निश्चयत देती है कि यीशु ने इस धरती पर के जीवनकल में जो उन्ें मृत् य से सकत थ, ऊँचे स्वर में पुकरते हुए और रोते हुए उनसे प्रार् नएँ तथ विनँ की थीं और आदरपूर्ण समर्पण के करण उनकी थन सुनी गयी। यद्यप वह उनके पुत्र थे फिर भी तनएँ झेलते हुए उन् ोंने आज्ञा क पलन करन सी । (इब्रानियों 5.7-8)| कैसे मसीह क उदहरण हमें आ देती है त हम धीरज के सथ हमरे विश्वास की की विशेष पर ओं को सह सके? पिछले सत्र ( हमारे इस् तमाल की सामग्र ) में आपने हमरे युद् के ह रों के रे सी है| इस सत्र में विश्वास की अच् छी लड़ाई में आपको उत् साहित जत है कि निश्चयत तथ सहनशीलत में वृद्ध करे| कुछ चीजों को सहन करने के लिए, हमें उससे भगन नहं हिए| हमें अपने ह्रदय में इस त क निश्चय कर लेन है कि जो कुछ हम विश्वास करके उसक अनुसरण करते हैउसमें निरंतर बने रहन है| हमें हर नहं मनन हिए पीछे नहं मुडन हिए| यद्धप यह कठिन, परे न करने ल, और निरुत् साहित करने ल होत है, पर हम अपने मन को निरंतर जर रखने के लिए प्रस्तुत रहन है, जिससे आगे ज सकें, परमेश्र की प्रतिज्ञाओं पर भरोस कर सकें और उनके अगु ई एवं बल क इंतजर करें| फिर दृढ़त एक पवित्र पन है, जो कि पर ओं जँच को अनुमति देने से मन करत है जो हमें निरुत् साहित करत है जिससे हम विश्वास को अपन मुँह मोड दे | दृढ़त कहत है, " हे कुछ भी हो जए, मैं प्रभु में किए मेरे समर्पण क त् याग नहं करूँग|" दूसरे विश्वासियों के उत् साह से, पवित्र आत् मा में प्रार् न, और परमेश्र की प्रतिज्ञाओं में विश्वास करने के द्वार हम मसीह में हमरे लक्ष्य को प्त करते हैं| यदि हम परमेश्र में दृढ रहे तो हम हमरे जीवित प्रभु यीशु मसीह में सुसम र के प्रति हमरे समर्पण क आदर कर सकते हैं, यदि हम हर नहं मनेंगे, तो हम जीत सकते हैं| इसलिये, विश्वास की अच् छी लड़ाई में दृढ़त क दृ न् सैनिक, खिल , और किसन के उदहरण से ज सकत है (2 तीमुथियुस 2.1-8)| सैनिकों को कठिन समय में बिन थके बोर हुए सहन करन सीखन हिए| खिलाड़ियों क प्रशिक्ण सब प्रकर के मौसम तथ परिस्थितियों में होत है, जब वे थक जते हैं तथ उन्ें चोट पहुँचती है तो स्वंय में चुनौती महसूस करते हैं| उसी तरह जिस तरह किसन त होकर धीरज से फसल क इंतजर करत है तब भी जब मौसम तथ परिसँ उनके नियंत्रण में नहं होते हैं| इन उदहरणों के समन, हमें सहन करन है| हमें चीजों को सहन करने तथ असफल होने के लिए तै र रहन हिए, और अब भी हमें कोशिश करन है, पर द रखें, कि अंतत: युद् प्रभु क है| हम बीज बो सकते हैं, धीरज रख सकते हैं, और प्रभु क इंतजर करन सीख सकते हैं| यदि हम ऐस करते हैं, तो परमेश्र सह समय में फसल को लेकर आएग|
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