ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2

146 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न

इन प्रभुतओं के अतिरिक्, मैं विश्वास करत हूँ कि निम् नलिित प्रभुतओं पर महत् देन है: • 1 पत. 2.16 – हमें हिए कि हम मसीह में परमेश्र के सेवकों के समन जीयें, परन् त कभी भी हमरे स्वतंत्रत क इस्तेमल बुरई को ढंपने के लिए न करें| • यूहन् ना 8.31-32 – हमें स्वंय को मसीह के चेलों के समन न है जैसे हम वचन के पीछे चलते हैं तथ उसमें बने रहते हैं, और ऐस करने के द्धार हम सत् को जनेगें, और यह सत् हमें स्वतंत्र करेग| • गल. 5.13 – मसीह में भइयों तथ बहनों के समन, हमें स्वतंत्र होने के लिए बुल ग है, पर हमरे स्वतंत्रत को पपमय स्वभ में लिप्त होने के लिए इस्तेमल नहं करन है; वस्तुत: हमें स्वतंत्र होने के लिए बुल ग है जिससे हम एक दूसरे की से प्रेम में कर सकें| मेरे चित में स्वतंत्रत पर ध् यान केन् द्त करन, संदर्भ में वयस्कों किशोरों से मैं जो चीजों को कहन हत हूँ वे हैं| अनेक र, जिस तरह से हम नये विश्वासियों को चेल बनते हैं उसमें व् यस्थित रूप से उनके विभिन् दोषों और नैतिक बीमर को सुनन है, और यह उन्ें न केवल इस त क अभ देग कि मसीहत धर्म विरुद् कम नहं है (एक धर्म जो समन् त चीजों को करन नहं है), और/ एक विश्वास जो पप करने से संबंध नहं रखत है| में मसीहत क नैतिक केंद् स्वतंत्रत पर है, एक ऐसी स्वतंत्रत जिसे ऊँ मूल् देकर खरद ग है, परमेश्र से प्रेम करने और रज् को फ़ैलने की स्वतंत्रत है, एक स्वतंत्रत जो प्रभु के लिए समर्पण क जीवन जीने देत है| अर्बन ईसइयों क नैतिक उत्तरदायि त् है यीशु मसीह में स्वतंत्र जीवन जीयें, परमेश्र की महिम के लिए स्वतंत्र जीवन जीयें, और उनकी स्वतंत्रत क इस्तेमल पप करने के अनुज्ञापत्र के समन नहं कर सकते हैं| इसलिये शिक्षा देने के केंद् में मसीह की मृत् य तथ पुनरुत् थान, तथ उनके सथ हमरेंमेल है जो हमें स्वतंत्र जय देत है| अब हम व् यवस् था से स्वतंत्र किए गए हैं, पप और मृत् य क सिद्धांत, हमरे स्वंय की निन् दा तथ दोष, हम पर व् यवस् था क सिद् होन है| हम परमेश्र की से कृतज् और धन् यवादपूर्ण ह्रदय से करते हैं, और इसक नैतिक आवेग मसीह में स्वतंत्र जीवन जीन है| फिर भी, हमरे स्वतंत्रत क इस्तेमल बुद्धमन लोगों के समन जुड़ हुए सिरों के समन न करें, परन् त परमेश्र की महिम तथ दूसरों से प्रेम करने में करें| यह वह पृष्ठभूमि है जो समलैंगिगकत, गर्भपत, और दूसरे समाजि क बिमरियों जैसे मुददों को संबोधित करत है| जो ऐसे कार् यों में लिप्त हैं वे स्वतंत्रत क ढोंग करते हैं, परन् त उनके पस मसीह में परमेश्र के ज्ञान क अभ होत है, वे केवल मत्र उनके आतंरिक पहले के स्वभ क अनुसरण कर रहे होते हैं, जो परमेश्र के नैतिक इच् छा उनके प्रेम से सूचित नहं किए गए हैं| मसीह में स्वतंत्रत एक पतक है जो अर्बन चेलपन में पवित्र तथ आनंदपूर्वक जीवन जीने के लिए बुले गए हैं| यह स्वतंत्रत उन्ें इस त को देखने देग कि स्वतंत्र जीवन जीने के बीच ईसइयों के समन वे कितने सृजनत् क हैं जो केवल बंधन, लज् जा, और प तप की ओर अगु ई करेग|

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