ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2

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पठ 6 आत् मिक उन

इबिल संबंधित मसीहत परमेश्र की योजन से स्वभ में वैश्वक है; यह स्वंय में किसी भी संस्कृति क पह न ले सकत है| सुसम र के इस वैश्वकत को हम प्रेरितों के कम पुस्तक में देख सकते हैं| पेंतेकुस्त के दिन जब सुसम र क प्र र संसर के प्रत् य क भष में क ग तो यह स्पष्ट प्रमण है कि मसीह सुसम र किसी विशेष संस्कृति भष तक सीमित नहं थ| इसके वैश्वकत को हम तब देखते हैं जब पहली शतब् दी में इसे यहूद तथ यूननी संस्कृतियों में कह ग थ जिनके बीच ये कम कर रह थ| कलीस की बुलहट यह है कि वह हर रष्ट्र, हर संस्कृति के भीतर उद्धार के सन् दे के सथ प्रवेश करे, जिससे हर प्रकर के लोग उनके जतीयत को परमेश्र को समर् पित कर सकें| इसलिये, मसीहत में, मेरे स्वंय के संस्कृति में यदि मैं परमेश्र की आर न नहं करत हूँ, तो मैं मेरे विश्वास में अनियमित हूँ| ~ कार् एफ. एलिस, जुनि. बियॉन् लिबरेशन: द गोस्पेल इन द ब् लक अमेरिकन एक् पीरियंस | डोव् ने र् ग्रो, इलिनोइस: इंटरवर् सिट प्रेस, 1983, p . 137| फ्रांसिस ऑफ़ अस्सिसी (1181 – 1226) इटली एक कलीस प्र रक थे | उन् ोंने एक ऐसे समूह के लोगों को इकठ् ठा क जो मसीह के लिए एवं दूसरों की से , प्र र करने तथ गर ी क जीवन जीने के लिए निवेदित थे, जिन्ें फ्रं सिस् न सं के नम से जन जत है| उन् ोंने जीवन भर दूसरे सं ओं को भी बनने में मदद क | वह इतिहस क सबसे आदरणीय मसीह है| के अगु तथ जहँ संदेह हो, विश्वास, जहँ निर हो, आ , जहँ अंधकर हो, रौशनी, जहँ उदसी हो, आनन् | हे स् वर् गी वामी, मुझे अनुमति दे कि मैं संत् न को पने की खोज न करूँ वरन संत् न देने की खोज करूँ, समझे जने अधिक समझ पऊँ, अधिक प्रेम न जऊं, बल् क प्रेम करूँ; क् ोंकि देने में ह हम हैं, क्म करने से ह हमें क्म मिलती है, मरकर ह हम अनन् जीवन में जगते हैं| ~ डॉन एल. डेविस| ए. सोजौर्ने र् क् वे स् | विचित, केएस| द अर्बन मिनिस्ट्री इंस्टिट् टय , 2010, pp . 95. समर्पण का प्रार्थना, फ्रां सस ऑफ़ अस् ससी प्रभु, मुझे आपके शान्ति क एक यंत्र बने | जहँ कहं घृण हो, मुझे प्रेम बोने द ए, जहँ चोट हो, क्म

प् रार्थना

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