ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
पठ 7 शत्रु जिससे हम लड़ते • 103 1. "मैं समझने की कोशिश कर रहा हूँ कि दृढ़ता से खड़ रहने का अर्थ क् य है, परन् तु मैं इस बात से निश्चि नही हूँ कि मैं इसे प्राप् करूँगा|" मित् रों के सथ इबिल क अध् यन करने के द, एक ज न मसीह 1 पतरस 5.8-9 पर मनन करने की कोशिश कर रह थ: सचेत हो, और जगते रहो; क् ोंकि तुम् हार विरोधी शैतन गर्जने ले सिंह के समन इस खोज में रहत है कि किस को फाड़ ए| विश्वास में दृढ होकर, और यह जनकर उसक समन करो क् ोंकि तुम् हारे भई जो संसर में हैं ऐसे ह दुःख सह रहे हैं| वो समझने की कोशिश कर रह थी कि विश्वास में दृढ़त से खड़ रहने क अर्थ क् या है| अध् यन में उन् ोंने अगुवे के द्वार शब् "समन करने" के इस्तेमल को सुन, यह यूननी मूलपठ क शब् अन् तिस् त ते है, और इसी शब् क इस्तेमल इफिसियों 6.11-13 और कूब 4.7 में हुआ है| इसक अर्थ है विश्वासयोग् बने रहन, परमेश्र के वचन में भरोस करन, हे चीजें जैस आप सोचते है उनके विरोध में चले जएँ| वो बहन कठिन प्रश्नो को झेल रह थी| "क् या इसक अर्थ है कि मुझे संदेह करन हिए नहं ?" यदि मैं निरुत् साहित हो जऊं तो क् या होग? यदि मैं पप में फिसलकर गिरूं तो क् या होग, क् या मैं पस खड़ी हो सकती हूँ?" आप इस ज न बहन को इस रण को समझने की सलह कैसे दोगे? 2. "क् ों परमेश् र ने शैतान को हमें परेशान करने तथा चो पहँचाने की अनमति दिया, यद्धपि हमारे प्रभ यीश ने पहले से ही हमारे लिए जय प् राप् किया है?" नये विश्वासियों को परे न करने ल एक महत् पूर्ण वि र यह समझन है कि यदि यीशु ने हमरे लिए जय प्त है तो शत्रु के झूठ के विरुद् विश्वास में दृढ़त से खड़ रहन क् ों आवश् क है| निश्चय ह यीशु ने क्र स पर शैतन को पर त है (कुलु. 2.15), और विश्वासियों ने मेम् न के लहू तथ उनके वचन की ग ह से उस पर जय प है, जो उनके स्वंय के जीवनों को अप्रिय जनने में सह त करत है (प्रक. . 12.9-10)| तो फिर क् ों उन्ें अब भी लडने की आवश् कत है? क् ों परमेश्र शैतन को अनुमति दे रह है कि लोगों के सथ लड़ाई करे, यद्धप यीशु ने उनके पहले आगमन पर उसके कम को न कर है (1 यूहन् ना 3.8)? (इ र: यीशु ने कह कि दस वामी से बड़ा नहं है, cf . यूहन् ना 13.16|) 3. "मैं जिस तरह के दर्द तथा मानसिक व् था से होकर गया हूँ कोई समझ नही सकता है| कोई नही|" जब हम कठिन समय, मनसिक व् थ, हर को महसूस करते हैं, हम अनेक र इस पर के रे में सोचने हमरे उसी तरह के पर में पडने को सोचते हैं| दर्द तथ हर प्र करन एक घनिष्ट तथ व् यतिगत प्रकृति है; हमरे चोट तथ परेँ इतनी निर्द यी हो सकते हैं की हम सोच सकते हैं किसी ने भी इस स्तर तक दर्द को नहं समझ सम् या से नहं गुजर हैं जिसक समन हम कर रहे हैं| इबिल के कई मूलपठ इस त क सुझ देते हैं कि यह समन् ममल नहं है| जितने कठिन हमरे परें हैं, संसर के रों और हमर तरह दूसरे विश्वासी भी उन् ही सम् याओ क समन कर रहे हैं और ये सभी पर एं तथ क् ले समन हैं| 1 कुरिन् थिों 10.13 देखें जिसमें पौलुस कुरिन् थिों से क् या कहते है: तुम किसी ऐसी पर में नहं पड़, जो मनुष् के सहने से हर है| परमेश्र सच् चा है और वह आपको
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