ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
122 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न
सच् चाई को बुद्ध के सथ बोलने की मुझे अनुमति दें जिससे जितनों के सथ मैं तें करूँ वे समझ सकें तथ आपकी सच् चाई से लभ ले सकें| इस अध् यन में मुझे सीें जैसे मैं आपके वचन तथ निरदे श स्वीकर करत हूँ| इन चीजों को मेरे प्रभु तथ उद्धारकर्त यीशु के बल न नम से मँगत हूँ, अमीन| 1. "क् ों कई मसीही, यहाँ तक कि पासबान भी उनके विश् वस से मँह मोड रहे हैं?" आज, कई मसीह जो कहते हैं कि वे यीशु को प्रभु के समन जनते हैं उनके विश्वास को त् याग रहे हैं, कली को छोड रहे हैं, और मसीह में उनके आत् मक बुलहट को छोड रहे हैं| यह न केवल कली के ऊंचें पदों में बैठे अच् छ लोगों के सथ हो रह है, परन् त उनके लिए भी सह है जो पुलपिट पर होते हैं| कई कें बन् कर द गई हैं, और कई सेवक पवित्र स्त्र एवं मसीह की ओर अपन पीठ कर रहे हैं| कई इस प्रकर से, विश्वास को तोड मरोड कर लोगों के बीच मसीहत क "मजक" बन रहे हैं| ऐसे समय में जब कई लोग व् यस्थित कली ओं को छोड कर ज रहे हैं, और द कर रहें हैं कि वे मसीह में और अधिक विश्वास नहं करते हैं आप इस विषय में क् या सोच रखते है? 2. "यह बहुत ही कठिन है, और मैं स् वंय बहुत ही निरुत् साहि महसूस करता हूँ| वास् व में मैंने सोचा कि वापस मेरे पराने जीवन की ओर लौ जाऊँगा|" कई ज न विश्वासी अपने जीवन में उनके ऊपर-नीचे चक् में जते रहते हैं, कई र वे उनके उच् वचनबद्त के समय से एवं मसीह के लिए प्रेम की पर ओं के निछले समय से जो कुछ वे विश्वास करते हैं उससे समझौत करते हैं| एक नए विश्वासी बढते हुए विश्वासी के लिए भी र र पप में गिरन फिर उठन और फिर से गिरन हत क करण बन सकत है | इस चक् के प्रतिउत्तर में, पवित्र स्त्र कहत है, " क् ोंकि धर्म हे सत र गिरे तौभी उठ खड़ा होत है; परन् त दुष्ट लोग विपत्ति में गिरकर पड़ ह रहते हैं " (नीतिवचन 24.16)| मसीह जीवन बहुत ह योग् जीवन है, परन् त यह आसन नहं है| क् ों मसीह के एक बढ़ने ले चेले के लिए यह आवश् क है कि वे स्वंय के प्रति धीरज रखे जब वे परमेश्र के सथ चलते हैं? 3. "जिस तरह यीश ने किया हम भी वैसे ही आज्ञकारिता सीखते हैं – उन चीजों के द् वरा जिनका दःख हम उठाते हैं|" एक नये विश्वासी के लिए सीखने क सबसे कठिन पठ यह है कि मसीह जीवन की रुपरे कभी भी संघर्ष, कठिनई, और सम् या से स्वतंत्र नहं है| हम ठगे हुए महसूस कर सकते हैं, तब जब हम जन जते हैं कि भजनकर ने क् या कह है: धर्म पर बहुत सी विपत्ति पडती तो है, परन् त यहो उसको उन सब से मुक् करत हैं (भजन संहित 34.19)| यदि हम ईमनदर हैं, हम कभी नहं हेंगे कि परे न हों, इसके जगह पर हम हते हैं कि सभी प्रकर के क् ले ों तथ पर ओं से बचें| हम में से कुछ चोट ए हुए महसूस करेंगे, और यहँ तक कि ऐस लगेग की हम धो ए हुए है, जब हम परमेश्र के अतिप्रिय बच् ों के समन, कई दर्द नक विषयों तथ आपदओं को सहन करते हैं| और जब आप एक नये विश्वासी होते है, तो ऐसे कठिनई में आत् विश्वास महसूस करते है |
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