ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
पठ 9 हमरे सहनशीलत क • 127 b . क् या होग जब दृढ़त उनके सम् पू र् प्रभ को उत् न् करेग? ( v . 4)
c . हमरे पर ओं तथ क् ले ों क समन करते समय यदि हमें बुद्ध क अभ होग तो परमेश्र हमें क् या करने क सलह देगे? ( vv . 5-8)
विश्वास की अच् छी लड़ाई लडने ले सैनिको के समन, हमें सहनशीलत तथ अंत तक दृढ रहने के लिए बुल ग है| दृढ रहने के लिए हमें किस चीज से होकर जन है, उसे सहन करन है, न कि इससे छुपन है न ह भग जन है| मसीह मसीह की से शत्रुतपूर्ण संसर में कर रहे हैं, जहँ हम इस संसरिक पद्धत के पर , हमरे पपमय स्वभ के आतंरिक भटकने, और सथ में शत्रु, शैतन के झूठ बोलने के धो क निरंतर समन कर रहे हैं| हम तन में रहते हैं, हमें कठिनइयों क समन करन पडत हैं, हमें गलत समझ जत है| इन पर ओं के बीच, जब हम उनको सहन करते हैं तो इसे हमें आनन् समझन हिए, यह जनकर कि प्रभु उनक इस्तेमल हमें प्रशिकषित करने के लिए करेगे कि कैसे हम उनक इंतजर कर रहे है, और उनके प्रतिज्ञाओं पर निर्भर हो रहे है| दृढ होने क अर्थ है कि हमरे विश्वास में हों, परन् त ऐस होने के लिए पवित्रत तथ आत् विश्वास होन हिए| अनेक र हमरे पस हमरे पर ओं के करण की अंतर्दृ ष्टि नहं होती है, परन् त जो कुछ भी हो हम परमेश्र पर भरोस करते हैं| जिस किसी चीज क समन हम करते हैं हमें हिए कि उसक तिर र करें विशेषकर ऐसे चीजों क जो हमें निरुत् साहित घ ल करे, जो प्रभु की ओर अपन पीठ ने के समन है| परमेश्र के समर् थ् तथ प्रबंध पर भरोस करन है जब हम विपद ों को सहन करते है त हम प्रभु के लिए हमरे समर्पण में विश्वास योग् हो सकें| जैसे हम पर ओं से होकर जएंगे, हमें इस त के प्रति निश्चित होन होग, कि परमेश्र हमर आवश् कतओं को पूर करेगे – तो दूसरे विश्वासियों के द्वार, पवित्र आत् मा में प्रार् न के द्वार, फिर पवित्र स्त्र के उत् साह के द्वार| जैसे ह आप इस पठ् यकम को समप्त करते हैं, जन लीजिये कि यह केवल शुरुआत है| छोड देन हमे जल् दी क कम है, सदैव समझौत करन भी बहुत जल् दी क कार् होत है| अपने न पर खड़ रहें, और देखें कि प्रभु आपकी आवश् कतओं को कैसे पूर करेग| इस पठ से संबद् जिन परिशिष्टियों क आप अध् यन करेगे तथ मनन करेगे वे निम् नलिित हैं: कूबड़ (परि. 15) उचित प्रतिनिधित् करन: परमेश्र के रज् में चेलों की वृद्ध करन (परि. 20) नये नियम क आ र-वि र: परमेश्र के रज् के ऊपर-नीचे क जीवन जीन (उल् टा जने क सिद्धांत) (परि. 21) परमेश्र उठे! परमेश्र को ढूंढने के सत "A’s" और उनके भलई के लिए विनती करन (परि. 23)
साराश
परिशिष् टियाँ
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