ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
128 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न
अच् छ से समझने के द हमने जो कुछ भी दु र प है, यह वह सिद्धांत है, जो जितन विज्ञान, खेल तथ संगीत पर लगू होत है, उतन ह धार्मक अनुभवों पर लगू होत है| जो लोग इस नियम से बंधे थे उनको नीची नजर से देखन किसी समय में आधुनिकत थी । परन् त वर्त्तमन समय में इन तों को महत् नहं द जत है। इस त को हम नकर नहं सकते है, . . . की हम इस अदभुत सच् चाई को देखने की शुरुआत कर चुके हैं कि मसीह वह है जो सत ज रह है, मसीह क जुआ लिए हुए है, खोखली स्वतंत्रत को त् याग कर रह है| हम मसीह शिक्षा में एक नये महत् को देख रहे हैं, की हलंकि वह मार् चौड़ा है जो विन की ओर ज रह है, पर जो मार् जीवन की ओर अगु ई करत है वह बहुत ह संकीर्ण है| जिस मसीह को अब हम जनते हैं, वो वह नहं है जो जैस उसे पसंद है वैस करे, परन् त वो वह है, जो प्रभु को प्रसन् करत है| ~ एल् न ट्रूब् ड| द योक ऑ क्राइस्ट| को, टेक् सास: वर्ड बुक् पब् लिर, 1958, pp . 130-131| ऊपर दिए गए मूलपठ के आपके अध् यन पर आ रित होकर, निम् नलिित ममलों और रणओं को पढ़ें तथ उन पर मनन करें, और उनके हल के लिए उत्तर तथ अंतर्दृ ष् टि उपलब् करें| 1. "मैं महसूस करता हूँ कि मैं रोलरकास्टर के किनारे पर हूँ – मैं नीचे जाता हूँ, मैं ऊपर जाता हूँ, फिर नीचे आता हूँ|" एक यु व् यति जिसने कुछ महने पहले प्रभु को स्वीकर क थ, वो जिस कठिनई तथ सम् या क समन कर रह थ उसे उसने उदसी के सथ बत | वो घर में लोगों के सथ तन क अनुभव कर रह थ, नौकर के जगह में लोग उसे गलत सोच रहे थे, पर ओं से उसमें निरंतर द थ, इससे पहले ऐस कभी नहं हुआथ| इस ज न मसीह सैनिक के सथ इन घटनओं क चक् निरुत् साहित कर देने ल थ, और फिर वह संदेह करने लग कि क् या सचमुच उसने मसीह को सह तरह से स्वीकर क है| क् ोंकि वह कई मुददों क समन कर रह थ, इसलिये उसने महसूस क , "मैं महसूस करत हूँ कि मैं रोलरक र के किनरे पर हूँ – मैं नीचे आत हूँ, मैं ऊपर जत हूँ, फिर मैं नीचे आत हूँ| अभी मैं स्थिर नहं हूँ| यदि मैं गलत करूँ तो इसमें कोई आश्चर्य नहं| मैं जनत हूँ कि बहुत से मसीह जिस तरह के परे नी से मैं ज रह हूँ वैस वो महसूस नहं कर रहें होंगे| अभी आपने जिन वचनों क अध् यन क है उनकी रौशनी में, इस नये मसीह के परिस्थिति पर आप क् या सलह देगे और उसे इसके विषय पर क् या करन हिए? 2. "मैं नही जानता हूँ कि परमेश् र के लोगों के ना मैं इसे कैसे कर सकता हूँ| उन् ोंने सब परिवर् तित किया है|" एक बहुत ह अच् छा प्रभु क भई प्राण देने तक विश् वसयोग् रह तब मैं तझें जीवन का मकुट दूँगा (प्रकशितक् 2.10)|
मख्
मामले का अध् यन
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