ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
पठ 9 हमरे सहनशीलत क • 129 जेल में, मसीह में आ , और जब वह छुट तो तुरन् वह एक नीय कली के लिए समर् पित हो ग | उन् ोंने उस कली में जितन संभव हो समय बित | उन् ोंने सभओं तथ अध् यन में भग , तथ कली में दूसरों क सथी बन ग | उन् ोंने स्वेच् छा से कली के कई आउटर में से , और वह व् यतिगत जीवन में जिन विषयों क समन कर रह थ उनके लिए पस न से सुझ मँग| वरषों तक, विश्वासियों की यह सभ उसक घर बन ग , सचमुच घर के हर एक और घर, और उस कली में उनके जीवन में पस न तथ विश्वासियों को परमेश्र ने कैसे इस्तेमल इस त पर मनन करते हुए उन् ोंने कह, "मैं नहं जनत हूँ कि परमेश्र के लोगों के बिन मैं इसे कैसे कर सकत हूँ| उन् ोंने सब परिवर् तित है उनक सहर, प्रेम, और सुझ ह वो करण हैं जिनके द्वार आज मैं प्रभु की से कर रह हूँ|" यह उदहरण कैसे हमरे जीवन में दूसरे विश्वासियों की भूमिक के द्वार हमरे विश्वास को दृढ़ करत है? 3. "कब चीजों में परिवर्तन होगा? मैं इस परीक्षा के कारण लम् ब समय तक परेशान था| सच में, यह लम् ब समय से प्रतीक्षा करने जैसा प्रतीत होता है|" कभी-कभी मसीह जीवन उत् साह से भर होत है, नई सीख तथ विजय, एक के द एक हमरे ओर आने लगते हैं, और ये हम में आश्चर्य, उत्तेजन, और आनन् की भ न को उत् न् करते हैं| हलंकि, दूसरे अवसरों पर, यह धीम तथ कठिन होत है, सम् याओं तथ पर ओं से जीवन भर होत है, जो लम् ब समय तक बने रहते हैं एवं ऐस प्रतीत होत है कि हमरे लिए कोई आरम नहं है| बड़ दर्द के द विश्वासी आसनी से निरुत् साहित होते हैं, जैसे कि लम् ब समय तक बीमर को झेलन, कर ी रिश् त दर क खो जन, और अधिक असफलतओं के सथ सम् या में पडन| मसीह परिपक् त क एक महत् पूर्ण पठ यह है कि कठिन परेशानि ों के बीच कैसे परमेश्र क इंतजर करें| पर ओं से निकल आने के लिए हमें परमेश्र क अनुग्ह हिए, ताकि इसे हम सहन कर सकें| इसलिये मसीह जीवन क अनु सन बहुत ह महत् पूर्ण है| हम कैस भी महसूस करें चीजें कैसे भी हो, हमें प्रार् न में दृढ रहन है, नीय कलीस में मसीह के अनुयायि ों के सथ संगति करन है, परमेश्र के वचन में, और परमेश्र के सथ चलने के द्वार| यह क् ों महत् पूर्ण है कि हम हमरे कठिन अनुभवो को अपने आत् मक जीवन के पर की आखर कड़ी समझकर छोड दे । हमर भ नओं तथ प्रतिक्रियाओं को परिस्थितियों से जोडन क् ों खतरनक है, हे वो अनु सन में हो, दूसरे मसीह के सथ संगति करने में, कैसे हम मसीह क अनुसरण करते हैं? सचमुच, मसीह में बढ़ने क केनद्रीय सिद्धांत दृढ रहने को सीखन है, सतर्क रहन है, और शत्रु के जल से दूर रहन है| हमें आगे जन है और पुरु र लेने के लिए आगे बढ़न है, हे यह कितन भी कठिन क् ों न हो| परन् त हम इसे अकेले नहं करते हैं| जैसे हम विश्वास की अच् छी लड़ाई में दृढ रहते हैं तो हमरे पस हमरे बुलहट के लिए स्थिर खड़ रहने के लिए संस न होते हैं| परमेश्र की आत् मा हमर उत् साह ती है, वह निरंतर हम में रहत है, हमें उत् साहित करने के लिए दूसरे वरदन पए हुए विश्वासियों के सथ हमें
सबध
Made with FlippingBook Online newsletter creator