ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2

परिशिष् ट • 135

परिशिष्ट 1 एक समय की बात है इबिल संबंधित वैश्वक वर्णन के द्धार ब्म् हाण् क नटक रेव् . डॉ. डॉन एल. डेविस अन काल से अन काल तक हमारा प्रभ ही परमेश् र है| अनंतकल से, समय के रंभ होने से पहले अस्तित् क अतुलनीय रहस्य, हमरे त्रिएक परमेश्र में सिद् वैभव में अनंतकल के समुद में पित, पुत्र, और पवित्र आत् मा, मैं हूँ के समन थ, अनंतकल के संबंध, उन्ें किसी चीज की आवश् कत नहं थी, असीमित पवित्रत, आनन् , और सुन् रत में उसके सिद् विशेषतओं को प्रगट कर रह थ| उसके सर्वच् इच् छा के अनुसर, हमरे परमेश्र ने प्रेम से होकर एक ब्म् हाण् की सृष्टि की, जहँ उसक वैभव प्रगट हुआ, और एक संसर जहँ उसकी महिम प्रगट होने पर थी और जहँ ऐसे लोग रह सकें जो उसके स्वंय के स्वरूप में बने गए हैं रह सकें, उसके सथ संगति को ट सकें और स्वंय उसके सथ सबंध क आनन् ले सकें, यह सब कुछ उसकी महिम के लिए थ| कौन, सरवोच् परमेश् र के समान, ससार की सृष्टि की है जो अंत : उसके शासन के विरुद्ध विद्रह कर सके| तीव्र ललस, ललच, और घमंड से जलकर, पहले मनुष् क जोड़ परमेश्र की इच् छा के विरुद् विद्रह , महन रजकुमर, शैतन के द्धार धो ए, परमेश्र को रज के रूप में उ ड़ फेंकने की शैतनी योजन को परिणम यह हुआ कि असंख् दूतों ने स्वर्ग में परमेश्र की इच् छा क विरोध करने लगे| आदम तथ हव् वा के अनज्ञाकरित के द्धार, उन् ोंने स्वंय को प् रगट और उनके लिए दुःख तथ मृत् य लेकर आये, और उनके विद्रह के द्धार सम् पू र् सृष्टि गड़बड, दुःख, और बुरई में चली गई| पप तथ विद्रह के द्धार, परमेश्र तथ सृष्टि के बीच मेल खो ग , और अब सर चीजें गिरने के प्रभ में आ गई – अलग की भ न, अलग होन, और निन् दा करने की ओर गई जिसमें सभी चीजों कि विकत ल थी| कोई भी दूत, मनुष् ज , णी इस असमंजस्य को हल कर नहं सकती है, और बिन परमेश्र के प्रत् यक हस्तक्ष प के, सम् पू र् ब्म् हाण् , संसर, और इसमें के सभी णी न होने पर थे| दया, और प्रेम-कृपालुत ा में, प्रभ परमेश् र ने एक उद्धारकर्ता को भेजने का प्रतिज्ञ किया जो उसके सृष्टि को छड़ाने वाला था| सर्वच् संबंधी प्रेम में, परमेश्र ने इस त क निश्चय कि एक विजेत को भेजकर, ब्म् हाण् से विद्रह के प्रभ क उप र करेग, जो उसक एकमत्र पुत्र थ, जो पप में गिरे हुए जोड़ के आकर में आएग, परमेश्र से अलग होने को अपनएग तथ उसे अलग कर देग| इसलिये, उनके संबंधी विश्वासयोग् त के करण, परमेश्र सी मनुष् के इतिहस में उनके उद्धार के लिए ल हो ग | प्रभु परमेश्र उसके सृष्टि को पस पुर्वास में लने के लिए नम्र होकर उसके सथ जुड़ ग , जिससे दुष्ट को एक ह र सब के लिए हर सके और एक ऐसे ज को त करेग जिससे उसक विजेत संसर में एक र फिर आकर उसके रज् को त करने पर थ|

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