ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
परिशिष् ट • 137
परिशिष्ट 2 कहानी को परमेश् र बता रहा है रेव् . डॉन अल् मन
अध् यय शीर्षक
अध् यय साराश
विषय वचन
आदि में वचन थ, और वचन परमेश्र के सथ थ, और वचन परमेश्र थ| यह आदि में परमेश्र के सथ थ| सब कुछ उसी के द्धार उत् न् हुआ है उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिन उत् न् नहं हुई (यूहन् ना 1.1-3)| इसलिये जैस एक मनुष् के द्धार पप जगत में आ , और पप के द्धार मृत् य आई, और इस र से मृत् य सब मनुष् ों में ल गई, क् ोंकि सब ने पप (रोमि. 5.12)| वे इस्राएली हैं, और लेपलकपन क अधिकर और महिम और एं और व् यवस् था और उपसन और प्रतिज्ञाएँ उन् हीं की हैं| पुरखे भी उन् हीं के हैं, और मसीह भी शरर के भ से उन् हीं में से हुआ| सब के ऊपर परम परमेश्र युगनुयुग धन् हो| आमीन| (रोमि. 9.4-5)| परमेश्र क पुत्र इस करण से आ कि वह शैतन के कमों को न करे (1 यूहन् ना 3.8 b )| के द्धार, परमेश्र क विभिन् प्रकर क ज्ञान उन प्र नों और अधिकरियों पर जो स्वर्गी नों में हैं, प् रगट जए| उस सनतन मनस के अनुसर जो उसने हमरे प्रभु मसीह यीशु में की थी (इफि. 3.10-11)| इसके द अंत होग| उस समय वह सर प्र नत, और सर अधिकर, और समर् थ् क अन् करके, रज् को परमेश्र पित के हथ में सौंप देग| क् ोंकि जब तक वह अपने बैरियों को अपने पँवों तले न ले आए, तब तक उसक रज् करन अवश् है| सब से अन् तम बैर जो नष्ट जएग, वह मृत् य है (1 कुरि. 15.24-26)| जगत क रज् हमरे प्रभु क और उसके मसीह क हो ग , और वह युगनुयुग रज् करेग (प्रकशित क् 11.15 b )| त अब कली
उथल-पुथल करने क एक प्र स क ग (समय से पहले) उत् पत्त 1.1 a विद् रह (सृष्टि और उसक गिर जन) उत् पत्त 1.1 b – 3.13
सृष्टि से पहले परमेश्र सिद् संगति में अस्तित् में थ| शैतन और उसके अनु ीयों ने विद्रह तथ दुष्टत को अस्तित् में लेकर आये| परमेश्र पुरुष को अपने स्वरूप में बन , जो शैतन के सथ विद्रह क भगीदर हुआ परमेश्र उसके स्वंय के लोगों को अलग कर र है, जिसमें से होकर एक रज आयेग जो मनवज को छुडे ग, इसमें लहैंअन् जँ |युद् के रे में उसकी योजन क संकेत बहुत पहले ग थ| उद्धारकर्त उसके लोगों की योजन को प्रगट जिससे वह शत्रु से प्रगतिशील वामित् को ले सके जैसे वे आने ले रज् के वाद को पहले से ले रहे हैं| यह उद्धारकर्त अपने शत्रु क न करने पस आ रह है, उसके दुल् न से वि ह करेग, और सिंहसन पर उसक सह न लेग| उद्धारकर्त शत्रु जो निशस्त्र करने आ है|
आक्मण की तै र करन (मूलपुरुष, रज, और भविष् द् क् ता) उत् पत्त 3.14 – मलकी
जय और लेन (देह र होन, पर , चमत् कार, पुनरु त् थान) मत्ती – प्रेरितों के कम 1.11
सेन आगे बड रह है (कली ) प्रेरितों के कम 1.12 – प्रकशितक् 3
अंतिम संघर्ष (दूसर आगमन) प्रकशितक् 4-22
इबिल वर्णन क समन् ग युद् ह है|
रज् ों के बीच युद्
यह एक ऐस संसर है जहँ भयंकर घटनएँ होती हैं तथ सुन् र चीजें भी होती हैं| यह एक ऐस संसर है जहँ अच् छाई बुरई के विरुद्, प्रेम घृण के विरुद्, महन संघर्ष में अव् यवस् था व् यवस् था के विरुद् खड़े होते हैं, जहँ हमे इस त से निश्चित होन है कि कौन किस से संबंध रखत है क् ोंकि ई देन धो हो सकत है| फिर भी उसके सभी संदेह और अनियंत्रण के लिए, यह एक संसर है जिसमें युद् अनंत: अच् छाई के पक् में जत है, जो इसके द सदैव सुखी रहेंगे, और हर दिन के दौड़ में, अच् छाई और बुरई एक समन ई देते हैं, और उसके सह नम से जने जते हैं| ~ फ्र डेरिक बुएच् न र| टेल् लिग द ट्रुथ|
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