ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
पठ 1 महन कथ में हमारे • 17 3. "जितना हो सके मैं कह सकता हूँ, मैं किसी भी योजना को नही देखता हूँ|" विश्वास के आरम् से, प्रेरितों के समय के कुछ देर द, विश्वासियों ने उनके विश्वास पद्धत की पुष्टि जो धार्मक सिद्धांत कहलत है उनके मध् म से की है| उनमें से दो सबसे अधिक पह न पें हैं और सम् पू र् इतिहस में उन्ें सुन ग तथ आज भी प्रेरितई सिद्धांत और निसेने सिद्धांत सुन जत है (देखें परिशिष्ट)| ये दो विश्वास के अंगीकर क संकषिप्त रूप हैं जो परमेश्र के दर्शन कि परमेश्र कौन हैं, उन् ोंने मसीह में क् या है, और कैसे सृष्टि को परमेश्र के समय और प्रणली के अनुसर पुर्वास में ल जएग क सरंश देते हैं| हलंकि, कुछ लोग ऐसे हैं जो विश्वास नहं करते हैं, और वे तर्क देते हैं कि कॉसमॉस (ब्म् हाण् ) की रचन अक त बिन किसी उद्ध श् उद् ध श् देने ले के बिन हुआ है| वे कहते हैं कि कोई ऐसी योजन नहं है जो सब कुछ को आपस में जोड सके, और ऐसी कोई भी एक व् याख् या नहं है जो हमें जनने में मदद करे कि हम क् ों यहँ पर हैं, हम कहँ ज रहे हैं, और अंत में सब कुछ कैस होग| नस्तिक (जो परमेश्र के होने को अस्वीकर करते हैं) कहते हैं कि परमेश्र जीवन के लिए किसी बड़ी योजन के रे में सोचन मूर्खत है| वे यह तर्क देते हैं, कोई परमेश्र नहं है, ब्म् हाण् के तत् मत्र उपस्थित हैं, जीवन संसर क कोई भग् उद्ध श् नहं है| सं द (जो कहते हैं कि हम कभी भी यह जन नहं सकते हैं कि परमेश्र है) कहते हैं कि यद्धप परमेश्र है, पर हम उसे जन नहं सकते हैं, और हम सबसे अच् छी आ करते हैं कि अंत में चीजें सह हो जए, द हो| कैसे प्रेरितई तथ निसेने सिद्धांत उन आपत्तियों क उत्तर देने में मदद करत है जो तर्क करते हैं कि परमेश्र नहं है न ह ब्म् हाण् के रे में कोई योजन है? इबिल में हम परमेश्र तथ मनवज की खोज करते हैं, जो यीशु मसीह हमरे प्रभु पर केन् द्त है| परन् त यह महन कथ हमरे पढ़ने से बडकर एक कहनी है; यह कुछ ऐस है जिसमें हम भग लेते हैं| यीशु के अनु ी के समन, आपके पस अब एक नयी पह न है और आप महन कथ में हमरे स्वंय के पए जने में एक भूमिक निभ सकते हैं| ब्म् हाण् की सृष्टि सर्वच् * और त्रिएक* परमेश्र: पित, पुत्र, और पवित्र आत् मा के द्वार की गई है| वे समय से पहले जी रहे थे, अनंतकल के महिम में जी रहे थे, और उनमें किसी चीज क अभ नहं थ, फिर परमेश्र ने एक ऐसे संसर की सृष्टि करने को चुन जहँ मनवज को उनके समनत तथ स्वरूप में बने , जो उनके सृष्टि के परिपूर्णत क अनुभव कर सकें| परन् त इस ब्म् हाण् को अनज्ञाकर दूत* क रजकुमर शैतन ने गड़ बड़ में डल | परमेश्र के रज् को उखाड़ फेंकने के मकसद से दुष्ट ने मनुष् क *सरवोच् – सर्वच् असीमित समर् थ् क ह ल देत है जो प्रकृति और इतिहस के घटनओं को नियंत्रित कर सकत है| *त् एक – त्रिएक कहने क दूसर तरक है "तीन व् यति, परन् त एक परमेश्र|" कभी-कभी शब् "त्रिएक" क इस्तेमल एक परमेश्र, परन् त तीन व् यतित् ों में होने क ह ल देत है| *दूत – दूत अलौकिक णी हैं जिनकी सृष्टि परमेश्र ने मनुष् की अपेक्षा अधिक समर् थ् और बुद्धमनी देकर है|
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