ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
22 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न
इबिल के अनुसर, इब्रओं क प्रभु परमेश्र एक सच् चा परमेश्र है, जिसने स्वंय को एक परमेश्र तीन व् यतित् ों (पित, पुत्र और पवित्र आत् मा) में प्रगट है| परमेश्र ने हमें उनके महन कहनी को बत है (उदहरण के लिए, महन कहनी) जो उनके प्रेम के रे में तें करत है और वह निश्चय है कि वह सृष्टि को न होने से एग| परमेश्र ब्म् हाण् क सृष्टिकर्त है, जिसने जहँ कुछ नहं है (एक् निहिलो) उसमें से सम् पू र् चीजों को बन है, और निर्णय कि वह एक ऐसी ज को बनएग जिसमें से होकर एक अगु तथ उद्धारकर्त आएग| यद्धप उन् ोंने अपने लोगों को असली रूप में बिन पप के बन , पर उन लोगों ने उनके विरुद् विद्रह , उनके अनुग्ह से गिर गए*, और सम् पू र् सृष्टि तथ मनवज पर श्राप ले आए, जो मृत् य पर समप्त होत है| परमेश्र ने प्रतिज्ञा हुआ एक उद्धारकर्त को भेज जो हमरे पपों के मूल् ों क भुगतन करने ल थ, वह स्वंय पर हमरे अनज्ञाकरित क दण् लेने ल थ, और विश्वास के द्वार हमें अनन् जीवन देने ल थ| नसरत क यीशु ह वह उद्धारकर्त है, जो हमें छुटकर देने के लिए मर| अब उसमें विश्वास से, हम दण् तथ पप के समर् थ् से छुडए ज सकते हैं, और अनन् जीवन को प्त कर सकते हैं, परमेश्र जिस कहनी को बत रह है हम उसमें ल हो सकते हैं! इस पठ से संबंद् परिशिँ जिनक आप अध् यन तथ मनन करेंगे निम् नलिित हैं: एक समय की त है (परिशिष्ट 1) कहनी को परमेश्र बत रह है (परिशिष्ट 2) पहले से समय के परे तक (परिशिष्ट 6) प और तत् (परिशिष्ट 7) यीशु मसीह, इबिल क विषय और शीर्षक (परिशिष्ट 22) निसेन धार्मक सिद्धांत (परिशिष्ट 24 और 25) प्रेरितई धार्मक सिद्धांत (परिशिष्ट 26) कि महन नटक को खेल ज रह है जिसे हम "युगों क संघर्ष" कह सकते हैं| पवित्र स्त्र तथ इतिहस की योजन दो रज् ों के बीच होने ले संघर्ष की कहनी को प्रगट करती है जिसमें हम सब परमेश्र की योजन के अनुसर अपनी भूमिक को निभ रहे हैं| यह इतिहस में परमेश्र के रज् के उद्ध श् के पृष् ठभूमि के विरुद् है जिसे इबिल संबंधित लेखकों ने है तथ पवित्र स्त्र की व् याख् या है| ऐस कह जत है कि सम् पू र् संसर एक मंच है| किसी भी अ में यह सह नहं है
साराश
परिशिष् टियाँ
~ जेम् डे यंग और सर हुरटी| बियॉन् द ऑब्विस| ग् र षम, ओआर: विज़न हउस पब्लशिंग, 1995, pp . 83-84|
* उनके अनुग् रह से गिर जाना – जब आदम तथ हव् वा शैतन के विद्रह में ल हो गए, तब उनक पप परमेश्र के सिद् संबंध से उन्ें अलग कर ; उनके कार् उन्ें परमेश्र से अलग कर दिए, और संसर में मृत् य को लेकर आ |
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