ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2

पठ 1 महन कथ में हमारे • 23 सर्वशक् तमान परमेश् र नासरत के यीश में पृथ् व पर आया, और क्रूस पर अपनी मृत् यु के ारा स् वंय से ससार का मेल कर लिया (2 कुरिन् थिों 5.19)| निम् नलिित मुददों और रणओं को पें तथ उन पर मनन करें, और जिन मूलपठों क आपने ऊपर अध् यन है उस पर आ रित होकर उनके प् र के उत्तर और अंतर्दृ ष्टि को उपलब् करें| 1. "मैं नही सोचता हूँ कि कोई परमेश् र है|" कम के समय दोपहर के भोजन में, जेनिस इस वि र पर चर्च कर रह थी कि कैसे संसर उनके सह कर्म लेह के पस आ | लेह विश्वास करती है कि ऐस कोई प्रमण नहं है कि परमेश्र, कोई ईश्र संसर में है| सभी धर्मो में परमेश्र कौन है, कितने ईश्र हैं इस रे में भिन् वि र हैं, और जैसे कि ये पवित्र ट में भी है| जेनिस मसीह में विश्वास करती हैं, वो यह भी विश्वास करती हैं कि सर्वशकतिमन पित ने संसर को बन , और यह सृष्टि बहुत ह सुन् र है और जो कुछ हुआ इसमें वह बहुत ह अदभुत है, बिन किसी उद् ध श् अर्थ के| यदि तुम जेनिस होते, तो लेह के सथ तुम इस त को कैसे कहते कि इबिल परमेश्र और उनके संसर की सृष्टि के रे में क् या कहत है जिसक अध् यन आपने अभी है| 2. "क् ों परमेश् र चीजों को अभी परिवर्तन नही करता है?" कुछ नये मसीह ों के सथ इबिल अध् यन में, यह प्रश् आ , "यदि परमेश्र सृष्टिकर्त है, और वह सब चीजों के लिए कम कर रह है, तो फिर संसर में क् ों डर नी चीजें होते रहते हैं?" कुछ लोग विश्वास करते हैं कि संसर में जो कुछ हो रह है परमेश्र उनमें से कुछ चीजों के रे में नहं जनते है, जबकि दूसरे कहते हैं कि परमेश्र इनके रे में जनते है, परन् त उन् ोंने निर्णय है कि जो कुछ हो रह है उन चीजों में हस्तक्ष प नह करेगें| अब तुम जो कुछ जनते हो इस त पर आ रित होकर, इस प्रश् क तुम कैसे उत्तर दोगे कि अब चीजें संसर में जैसे हैं वे वैसे ह क् ों हो रहें हैं? हमने जो कुछ इस पठ में सी है हमें समझने में मदद करत है कि परमेश्र हमें एक र कठिन चीजों से जने की अनुमति देत है, कम से कम एक र? 3. क् य परमेश् र की ओर जाने के कई मार्ग हैं? आज कई लोग विश्वास करते हैं कि सरे धर्म समन रूप से महत् पूर्ण हैं और कई भिन् मार् हैं जो परमेश्र की ओर अगु ई करते हैं|भिन् समुद एक पर्वत के निचे से अलग अलग मार् लेते हैऔर पर्वत के शिखर पर पहुंचने के लिए अपनी शुरू करते है | उन सब क मकसद होत है कि पर्वत के शिखर पर पहुँचें (जहँ "स्वर्गी" जीवन है), परन् त वे भिन् नजर दृष्टिकोण लेते हुए, भिन् मार् पर चलते है|पहले हो द में (जिस तरह तर्क जत है) सभी चढ़ने ले (संसर के धर्म) ऊँ ई पर अपने मार् को पते हैं (आत् मकत तथ स्वर्गीत)| इस दृष्टिकोण से, सभी धर्म समन हैं, सचमुच सभी स्वर्गीत के रे में तें करते हैं, और उनमें से कोई भी परमेश्र को प्त कर सकत है| स्वर्ग की ओर कई मार् हैं इसके रे में हमरे अध् यन क तर्क कैसे तें करत है?

मख्

मामले का अध् यन

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