ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
72 • विश्वास की अच् छी लड़ई लड़न
हमें हमरे विभिन् जीवन संदर्भो में संत होने की भूमिक को शुरू करन हैं, और पवित्र आत् मा को समय एवं अनु सन के मध् म से, हमें ऐस बनने में, जिससे हम जो कुछ पित हमरे जीवन से हते हैं हम वैसे बन सकें| हम में से प्रत् य क को यह सीखन है कि कैसे हम पवित्रत तथ आदर में स्वंय के शररों को नियंत्रित कर सकें, क् ोंकि परमेश्र ने हमें वार्थ और कम- सन क जीवन जीने के लिए नहं बुल है, परन् त एक न जीवन जीने के लिए बुल है जो पवित्र तथ सुन् र है – एक ऐस जीवन जो उनकी महिम करत है| एक और त यह हैं, की हम मसीह के रजदूत बनें गए हैं, और अब परमेश्र हमरे द्वार दूसरों से विनती कर रहे है| जब हम यीशु को प्रभु के रूप में प्र र करते हैं, और जो कोई उन पर विश्वास करते हैं उनके लिए उनके नम से जीवन को समर् पित करते हैं, तो हम हमरे सन् दे को जिस तरह हम जीवन जीते हैं, हमरे ल-चलन के द्वार, हमरे बोली के द्वार, और हमरे क्रियाओं के द्वार उनके सुसम र को वैध ठहरते हैं| अब, उनके रजदूत होने के करण हम उनके इच् छा को प्रस्तुत करते हैं, उनके शब् ों को बोलते हैं, हम उनकी अपेक्षा जो उन् ह नहं जनते हैं अलग तरह से बर्ताव करते हैं| क़ संसर क अनुकरण करने की अपेक्षा, हम स्वंय को रूपंतरित, परमेश्र के आभर लोगों के समन द सकते हैं| हम मसीह के रजदूत हैं| हम भकतिहन, पपमय जीवन शैली से मुँह मोडते हैं और परमेश्र की आत् मा से परिपूर्ण, परमेश्र को आदर देने ल जीवन जीते हैं, मसीह जो कि हमरे परमेश्र तथ हमरे उद्धारकर्त है उनमें हमें दिए गए जीवन को दूसरों के सथ टते हैं| हम उनकी रचन हैं, जो परमेश्र द्वार अलग किये गए है, ताकि विभिन् तरह से अच् छ कमों के मध् म से उनकी महिम कर सके जिनके लिए हमर जीवन बन ग है| हमें दूसरों को प्रेम करन है तथ उनकी से करन है, उनकी कहनी को बतन है, और दूसरों को हम से जुडने के लिए आमंत्रित करन है, विशेषकर जो हमरे पर र तथ मित्रों के नेटवर्क में हैं| करुण, द और न् याय की ओर लेकर जएंगे| करुण परमेश्र के प्रेम को प्रस्तुत करत है और हम में से बहत है, तथ यह खोये हुओं के प्रति हम में प्रेम को बनत है और इच् छा देत है कि उन लोगों के उद्धार के जीवन के अनुभव को देखें| द , भग् ह्रदय लोगों तथ समुद ों के प्रति हमर मनोदृष्टि है|यह हमें लोगो को उनके परिस्तिथि के करण से दोष देने और उनकी निंद करने की मनसिकत से दूर ले जत है | यहँ तक कि जब लोग उनके बुरे चुन ों की वजह से खर स्थिति में रहते थे, द हमर अगु ई करत है की हम उस रती से उन्ें देखे और प्रतिउत्तर दें, जो उनके योग् त से परे है| जब हम परमेश्र से दूर जीवन जी रहे थे, परमेश्र दूसरों के द्वार हमें इसी तरह दे रह थ | ~ एफ्र म स्मिथ| द पोस्ट ब् लक & पोस्ट इट चर्च: बिकमिंग द बिलोवेड़ कम् यु नट इन ए मल् टी-एथनिक वर् ल् | सेन फ्रांसिस्को, कैली: जोस्से- स, 2012, पृष्ट 59| यहँ पर यह स्पष्ट है कि परमेश्र के रज् क वि र करुण, द , और न् याय से अलग नहं है| इबिल के इस नींव से हम कलीस को
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