ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2

पठ 5 उ तमता हम दिखाते • 71 2. "मैं कभी भी एक स के समान नही था, और मैं नही सोचता हूँ कि मैं कभी भी उस तरह बनूँगा| मैं, एक स ?" एक ज न मसीह के सथ इबिल अध् यन में (जो में अधेड उम्र क पुरुष थ), पवित्र स्त्र के अध् यन करते समय हम वचन के उस हिस्से पर आएं जहँ हमने दे की परमेश्र हते है कि मसीह में हम संतों (पवित्र लोगों) के समन जीयें| पवित्र स्त्र इस त पर स्पष्ट है कि हमें अपने ल-चलन को ऐसे बनन है जिससे हम जो कुछ करते हैं उसके द्वार दूसरों के सम् मु मसीह को प्रगट कर सकें| हमें इसलिये बुल ग है कि हम उस स्तर तक जी सकें जिसमें परमेश्र के उद्ध श् के लिए अलग किए हुए लोग, उनके पवित्र, एवं आभर लोगों की तरह उनके कार् के लिए इस्तेमल में आ सकें| यह युवक मसीह नहं समझ प रह थ कि यह कैसे होग, क् यूं क उनके अतीत के जीवन वह जैस ज करत थ वो उनके लिए चिंत क विषय थ और वो उनके रे में सोचने लग| वह इस त से अचंभित हुआ कि परमेश्र उसे "संत" कहते है| हमरे पिछले जीवन को देखते हुए यह कैसे संभव है कि हमें "पवित्र जन" बुल जत है? 3. "एक मसीही होना परमेश् र के राज् का गप् प्रतिनिधि होने के समान है|" संभवत आपने जसूसी फिल् ों को दे है, जहँ एक गुप्त जसूस विदेशी परिस्थिति को भेदत है और उनके देश के लभ के लिए से करत है| आपने सम र में दे होग और सुन होग कि एक रजदूत विशेष मुददों पर उनके देश के दृष्टिकोणों को रखत है| जब वे तें करतें हैं, तो वे उनके देश की स्थिति को समने रखते हैं, इस प्रकर से जैसे कि सम् पू र् देश को वे प्रस्तुत करते हैं और इस मुददे पर कार् यालयीन दृष्टिकोण देते हैं| इबिल के अनुसर रजदूत की रण क इस्तेमल, एक मसीह की उनके पर र, मित्रों, उनसे जुड़ हुए लोग, और पड़ौसिों के जीवन में उनकी भूमिक तथ कर्तव् को समझने में कैसे मदद करत हैं कि वे प्रभु के प्रतिनिधि और स्वर्ग रज् के रजदूत के रूप में सेें दे ? पिछले सत्र में ( जो दान हमें प्राप् होने वाला है ) आपने सी कि जब आप ए जते है, परमेश्र आपको पवित्र आत् मा क वरदन देते है जिससे मसीह की देह को बन ज सके| अब आप देखेगे कि कैसे परमेश्र आपक इस्तेमल सृजनत् क रीति से करेंगे ताकि संसर में आप उनको प्रस्तुत कर सके कि आप विश्वास की अच् छी लड़ाई लड रहे है | अब यीशु मसीह में विश्वास से आप परमेश्र के सन् तान बन गए है (1 यूहन् ना 3.1-3), हमें प्रभु के समन होने के लिए बुल ग है, परमेश्र के चरित्र क अनुकरण करने, उनके समन ल चलने, और दूसरों से ऐसे प्रेम करन जैसे कि ऐस लगे प्रभु यीशु मसीह हममें जी रहें है| हमें "संत" कह ग है, जो परमेश्र के पवित्र जन हैं, जिन्ें मसीह में हमरे विश्वास के द्वार धर्म ठहरए ग हैं, और जो यीशु के लहू से पवित्र तथ शुद् किए गए हैं | परमेश्र हमरे पवित्रकरण (परमेश्र की संपत्ति होने के करण अलग तथ इस्तेमल) को हते है, अर्थत हमरे जीवन के प्रत् य क पहलु में, हमरे वि रों तथ स्वभ ों में, तों, बर्ताव , और हमरे संबंधो में – त हम दूसरों को सके कि हम मसीह के हैं, और उनक रज् हमरे बीच, कली में दे ज सके|

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