ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
पठ 5 उ तमता हम दिखाते • 77 निम् नलिित ममले तथ रणओं को पढ़ें तथ उन पर मनन करें, और उनके हल के लिए उत्तर तथ अंतर्दृ ष्टि दे, जिसक अध् यन आपने ऊपर मूलपठ पर आ रित होकर क है| 1. जब हम असफल होते हैं तब क् य होता है? कई र नये विश्वासी स्वंय उत् साह से परमेश्र की बुलहट को मसीह में संत तथ उनके रजदूत होने के लिए स्वीकर करते हैं| जैसे वे प्रभु के सथ चलते हैं, वे मजबूती से बढ़ते हैं, परन् त संसर की पर ओं, शैतन के झूठ, और उनके पुरने स्वभ के अनुसर संसर के समन जीवन जीने के द्वार, वे पप में पड जते हैं| क् या होत है जब हम असफल होते हैं, एक से अधिक र एक ह क्ष त् र में असफल होते हैं? क् या एक व् यति जो यह द करत है कि वह मसीह है पर फिर भी पतित होत है – क् या वह व् यति विश्वासी बन रहत है? क् या हम किसी पवित्र आजमइश में हैं, जहँ हमर उद्धार जब तक हम असफल नहं होते प्रभ कर है, पर फिर सब कुछ निरस्त हो जत है? क् या गलती करने के द भी उन्ें संत रजदूत समझ जे ग? निम् नलिित पवित्र स्त्र को पढ़ें, और सुझ देने तथ मार् दर्शन के लिए आपके उत्तर को दूसरे विश्वासी के सथ टे: के संत के समन जीवन जीन तथ मसीह क रजदूत होन हमें न करत है, परन् त यह समन् आसन नहं है| एक विशेष मुददे पर परमेश्र के स्थिति के रे में सोच कर हमें स न रहन है त भ्रम में न आयें, और जैस आज के TV प्र रक सुसम र की सच् चाई की प्र र करते हैं उसे युहं स्वीकर करने के विषय पर हमें संदेह करन है| हर मुददे पर वि र करने के लिए समन रूप से पक् और विपक् में ईमनदर तथ धार्मक मसीह मौजूद हैं, जो दोनों तरफ से पवित्र स्त्र क ह ल देते हैं, और वे द करते हैं कि उनक दृष्टिकोण सह "मसीह " स्थिति को प्रस्तुत करत है| एक मसीह को क् या करन हिए जब वह ऐसे बल न मसीह से मिलत है जो किसी विशेष प्रश् पर वि द द दृष्टिकोण रखते है? क् या हर एक शीर्षक जो समज में प्रकशित होत है उनके विषय में सदैव एकल, स्पष्ट, और "सह" अभिमत होन हिए? रोमियों 14.1-12 कैसे हमर मदद इस सभी प्रकर के मुददों के विषय को समझने में करत है? 3. हम कौन हैं, यह जो कुछ हम कहते हैं उनकी अपेक्षा हमारे व् वहार से दिखता है? निश्चित तौर पे जो कुछ हम बोलते हैं उनकी अपेक्षा जो हम हैं वो लोगो को ज् याद नजर आत है| हमें इस त से स न रहन है कि परमेश्र के रज् के रे में जनने में हम मौखिक द करते हैं, परन् त • 1 यूहन् ना 1.5-10 • नीतिवचन 24.16 • कूब 5.16 • भजन संहित 32.3-5 • नीतिवचन 28.12-13 2. क् य समाज के हर मददे पर कोई मसीही स् थति होनी चाहिए? परमेश् र
मामले का अध् यन
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