ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
पठ 6 आत्मक उन् ति हमारी खोज मसीह की देह में एक दूसरे को तै र करन
द रस के समन, शर के मत ले न बनो, क् ोंकि इससे लुचपन * होत है| पर आत् मा से नियंत्रित हो जओ तथ भर जओ, और आपस में भजन तथ स्तुतिगन * और आत् मक गीतों को गते हुए, अपने अपने मन में प्रभु के समने गते और कीर्तन करते हुए उत् साहित तथ संबोधित करो| में सब चीजों में सदैव परमेश्र पित क धन् यवाद करो, और सद सब तें मसीह के नम से करो| मसीह के भय तथ आदर में एक दूसरे के अधीन रहो| ~ पौलुस इफिसियों को लिखत है (इफि. 5.18-21) इस सत्र के अंत तक, आप विश्वास करने के द्वार आत् मक उन् नत हमर खोज को अपने गे: • मसीह जीवन कि रुपरे समुद में एक सथ मिलकर जीवन जीने के लिए है, एक सथ मिलकर परमेश्र के पर र, मसीह की देह में वृद्ध करन है, और पवित्र आत् मा क मन् दर होन है| • जैसे हम नीय कली तथ छोटे समूहों में दूसरों से जुडते हैं, तब हम स्वर्ग रज् के वस्तुओं को सीखते हैं, परमेश्र की आर न करते हैं, और मसीह के चेलों के समन वृद्ध करते हैं| • जब हम मसीह क अनुसरण करते हैं, तो हम हमरे विश्वास में बडते (उन् नत करते) हैं, यह तब होत है जब हम सीखते हैं कि कैसे हमें आपस में मसीह में एक दूसरे को सम् मान करते हुए परमेश्र के अधीन रहें | अनंतकल के परमेश्र, मेरे पित, आपने अपने वचन में कह है कि आप सरे ज्ञान तथ बुद्ध के स्रत हैं| प् यारे पित, मैं इसे सच् चाई के रूप में स्वीकर करत हूँ, और आपसे मँगत हूँ कि आप मुझे स्वर्गी बुद्ध प्रदन करें, जिससे मैं वचन की सच् चाई को सह र से विभ त कर सकूँ (2 तीमुथियुस 2.15)| कृप मुझे निरदे श दें तथ शिक्षा दें कि किस मार् में मुझे जन *लुच पन – लुचपन आनन् में अत् यिक लिप्त होन है| इसक अर्थ यह नहं है कि हमें उन सब चीजों से बचन हिए जो हमें आनन् देते हैं, परन् त हमें लपर ह बर्ताव से सतर्क होन है जो परमेश्र क अनदर करते हैं| परमेश्र ने सब कुछ हमें आनन् के लिए द है, पर सभी की अपनी उचित सीमें है| उदहरण के लिए, जब एक नद उनके तटों पर बहती है, तो यह अच् छ करण के लिये समर् थ् क उपयोग है, परन् त जब यह उनके तटों से हर बहने लगती है तो यह शहर में ढ़ ले आती है, और वह नद विन कर समर् थ् प्त कर लेती है| वैसे ह, लुचपन परमेश्र के द्वार दिए गए आनन् क अनुचित इस्तेमल है, जब यह अपने सीमओं के हर बहने लगत है तो यह व् यतियों तथ प्रभवितों के लिए विन कर हो जत है| * भजन तथा स् तुतिगान – भजन संहित एक विशेष प्रकर के गीतत् क कवितओं क समूह हैं जिनक उल् ले इबिल में है जिनको समुद में ग जत है, इन्ें परमेश्र की आर न के लिए इस्तेमल में ल जत है| भजन और आत् मक गीत प्रेम तथ आर न के भ हैं जो इबिल तथ मसीहियों के द्वार शताब्दियों से लिखे गए हैं|
उद् धेश्
बुद के लिए आरंभ क प्रार्थना
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