ववशवास की अच् छी लड़ाई लड़ना - Fight the Good Fight of Faith Hindi, v.2
परिशिष् ट • 159
इस युग में हमरे विश्वास और अभ् यास के वर्तमन मूल क विकस हुआ है, और इसमें दूसर (और ईस) भी सक्म ई पड़त है| त् जरहोम के महन परंपर के मत को अपनन, संपदन करन, और उसक वि र करन है, मैं यहँ उस चीज की सूची बन रह हूँ जिसे मैं लेत हूँ, शुरू करत हूँ, समन् गंभीर आ मों की सूची बन रह हूँ जो हमरें अनविभाजि त ध् यान को ले सकत है और सम् पू र् ह्रदय से पुन: शुरू कर सकत है| 1. प्रेरिताई परपरा| महन परंपर, प्रेरितई परंपर में जडें पकड़ा हुआ है, उदहरण के लिए प्रेरितों की आँखों देखी ग ह और नसरत के यीशु क पहल अनुभव, उनके जीवन के विषय में उनक अधिकरिक ग ह और पवित्र पवित्र स्त्र कैनन जो कि आज हमरें इबिल है उसमें उनके कम क वर्णन| कली प्रेरितई है, जो कि भविष् द्क्ताओं और प्रेरितों के नींव पर बन है, जिसक कोने क सिर स्वंय मसीह है| स्वंय पवित्र स् त् र परमेश्र के रज् के रे में हमरे व् याख् या के स्रत को प्रस्तुत करते हैं, परमेश्र के छुटकर देने ल प्रेम जो अब्राहम तथ मूलपुरुषों के सथ प्रतिज्ञा में मूर्त रूप है, इस्राएल के तथ अनुभव में, जो मसीह यीशु में परमेश्र के प्रक न क चरमोत् कर् है, जैस कि भविष् द्क्ताओं ने भविष् द्धाणी की है और प्रेरितई ग ह में समझ ग है| 2. एकमेनिकल कौंसिल तथा क्रीड् , विशेषकर निसेन | महन परंपर सच् चाई की घोषण करत है और ऐतिह क रू द विश्वास के सथ बंधन को जोड़त है जैसे कि इसे ीन एकुमेनिकल क्रड् और अविभ त कली में परिभ त ग है तथ पुष्टि की गई है| उनकी घोषण बिल् क ल सह व् याख् या है और पवित्र स्त्र में प्रेरितों के द्धार दिए गए शिक्षा क सह टक है| इस बीच यह स्वंय विश्वास, एकुमेनिकल कौंसिल क अंगीकर, और क्रड् जो इसके शिक्षा के तत् को प्रस्तुत करते हैं 5 क स्रत नहं है, विशेषकर जो पँचवी शतब् दी से पहले के नहं हैं (जहँ विशेषकर परमेश्र, मसीह, और उद्धार से संबंधित सभी थमिक सिद्धांतों को कह जत है और अपन जत है)| 6 5 मैं स्वर्गी डॉ. रोबर्ट इ. वेब् ब र क कर्जदर हूँ विशेषकर इस भिन् स्रत और मसीह विश्वास के तत् एवं व् याख् या के लिए| 6 इस बीच सत एकुमेनिकल कौंसिल् (दूसरों के सथ) की पुष्टि कैथोलिक तथ रुढ द संगति से ँ धने के समन हुआ है, इसमें पहले र कौंसिल् को गंभीर समझ जत है, सबसे महत् पूर्ण ीन, अविभाजि त कलीस क अंगीकर करन| मैं और दूसरे इसके रे में वि र से तर्क देते हैं क् ोंकि पहले र को एक ह र सबके लिए कह ग जिसके विषय में हमरे रुढ द विश्वास क त्रिएक सिद्धांत एवं देह र होने को कहत है तथ हल निकलत है ( cf . फिलिप स्चाफ् फ़, द क्रड् ऑफ़ क्रिस्नडॉम , v . 1| ग्रैड रैपिड् : बेकर बुक हउस, 1996, p . 44)| उसी तरह, अधिकरिक आत् मक सु रकों ने भी महन परंपर की शिक्षा को अपन है, और उन् ोंने उनके सबसे महत् पूर्ण अंगीकर को अधिकरिक रूप से पकडे रह है| वैसे ह, कैल् वन भी उनके स्वंय के थियोलोजिकल व् याख् या में स्वंय क तर्क देत है कि "इस प्रकर कौंसिल् (सभें ) उनके अपने समय में भव् त के सथ आयें हैं; फिर भी पवित्र स्त्र ऊँचे न में खड़ा है, और सब कुछ उनके स्तर के अधीन है| इस तरह, हम स्वेच् छा से शुरुआती कौंसिल् को पवित्र स्तरर अपनते हैं तथ उनक आदर करते हैं, जैसे कि न , कंस्टेंटनोपल, इफेसुस क पहल I , चलसेदन, और वैसे ह, जो कि त्रुटियों को अप्रमाणि त करने से संबंध रखते हैं, क् ोंकि वे विश्वास की शिक्षा से संबंध नहं हैं| क् ोंकि उनसे कुछ बन नहं है, परन् त शुद् तथ पवित्र स्त्र क विक व् याख् या, जिसे पवित्र पितओं ने आत् मक बुद्धमनी से शत्रु के धर्म को द ने में लगू क जो अब जीवित हुआ थ" ( cf . जॉन कैल् वन, इंस्टिट् यट ऑफ़ द क्रस्चियन रिलिजन , IV , ix . 8| जॉन ट. मकनील, संकलित| फोर्ड लेविस बैटलस, ट्रांसलेटेड| फिलडल् फिया: वेस्टमिन्स् र प्रेस, 1960, pp . 1171-72)|
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